अबकी प्रयाग अर्ध कुम्भ में होगा देश के हर गांव का प्रतिनिधि
सत्यप्रकाश
दुनिया के सबसे पुराने और बड़े मानव समागम ‘अर्ध कुम्भ मेला 2019’ में देश के तकरीबन छह लाख गांवों के प्रतिनिधियों के अलावा 192 राष्ट्रों के अतिथि पवित्र गंगा में डुबकी लगाएंगे। 15 जनवरी से प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आरंभ हो रहे ‘अर्ध कुम्भ मेला 2019’ के लिये व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। चार मार्च तक चलने वाले इस मेले में 12 से 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। सरकार ने इसी को ध्यान में रखकर बड़ी तैयारी की है।
देश के प्रत्येक गांव का प्रतिनिधित्व इस मेले में होगा। देश में लगभग छह लाख गांव हैं। इसके अलावा 192 देशों के अतिथि भी मेले में भाग लेंगे। 71 देशों के राजदूत मेले की तैयारी देखने के लिये प्रयागराज की यात्रा कर चुके हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सभी राज्य तथा केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और उप राज्यपालों को व्यक्तिगत रुप से कुम्भ के लिये आमंत्रित किया है।
इस बार का अर्ध कुम्भ कई मायनों में विशेष होगा। आम तीर्थयात्री पहली बार अक्षय वट वृक्ष और सरस्वती कूप के दर्शन कर सकेंगे। ये दोनों सैन्य क्षेत्र में हैं और इनके लिए सेना की अनुमति से विशेष व्यवस्था की गयी है। देश के हर सांस्कृतिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व इस अर्ध कुम्भ मेले में देखने को मिलेगा। इसके लिए 30 विषय वस्तु आधारित द्वार, 200 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक विषयों पर लेजर शो, खानपान और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। प्रयागराज अर्ध कुम्भ 2019 में स्वच्छता को विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस बार अर्ध कुम्भ में एक लाख 22 हजार शौचालय बनाए गए हैं।
प्रयागराज नगर को संस्कृति और कला के सुन्दर चित्रों से सजाया गया है। दीवारों पर भारतीय संस्कृति की चित्रकारी की गयी है। तकरीबन 20 लाख वर्ग फुट दीवारों पर चित्रकारी की गयी है। मेले में पहली बार 10 हजार लोगों की क्षमता युक्त गंगा पंडाल, 2000 की क्षमता का एक प्रवचन पंडाल, 1000 क्षमता के चार सांस्कृतिक पंडाल स्थापित किये जा रहे हैं। पहली बार 20 हजार आम श्रद्धालुओं के यात्री निवास आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। महिला तीर्थयात्रियों के लिये विशेष व्यवस्था होगी। महिलाओं के विशेष चेंजिंग रुम और शयन कक्ष बनाये गये हैं। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के व्यापक एवं पुख्ता इंतजाम किये गए हैं।
अर्ध कुम्भ या कुम्भ का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है किन्तु इसका संबंध सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कुम्भ से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित सभी स्थलों का सौन्दर्यीकरण कराया गया है। कुम्भ में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए जल, थल और नभ से आने की पहली बार व्यवस्था की गयी है। कुम्भ के माध्यम से भारतीय संस्कृति के उन्नत जीवन, आचार और विचार से दुनिया को परिचित कराने का प्रयास इस आयोजन का लक्ष्य है।
कुम्भ कार्यों में 671 जन कल्याणकारी परियोजनाओं का काम डेढ़ वर्ष में पूरा कराया गया है। कुल मिलाकर 4300 करोड़ रुपये से कुम्भ मेला और प्रयागराज में स्थायी विकास के कार्य कराये जा रहे हैं। प्रयागराज में मूलभूत अवसंरचना सुविधाओं जैसे सड़क, सेतुओं का निर्माण, पेयजल, विद्युत सुधार, पर्यटन विकास आदि के कार्य किये गये हैं। प्रयागराज नगर के चिकित्सालयों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता बढ़ायी गयी है तथा चिकित्सा सुविधाओं का विकास कर नये संयंत्रों की स्थापना की गयी है। मेला क्षेत्र में एक नए नगर की स्थापना की जा रही है, जिसमें 250 किलोमीटर सड़कें तथा 22 पन्टून पुल होंगे। यह विश्व का सबसे बड़ा अस्थायी नगर होगा। पहली बार मेला क्षेत्र में 40 हजार से अधिक एलईडी बल्ब लगाए गए हैं।