रोहिंग्या मुसलमानों पर सरकार और मानवाधिकार आयोग आमने-सामने
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में शरण देने के मुद्दे पर मोदी सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आमने-सामने आ गए हैं। गुरुवार को एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने साफतौर पर कहा कि म्यांमार से भाग कर भारत में घुसे रोहिंग्या लोगों को शरणार्थी समझने की गलती नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वे अवैध आव्रजक हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे को देखते हुए उन्हें वापस भेजा जाएगा। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू ने कहा कि एनएचआरसी रोहिंग्या का समर्थन करेगा क्योंकि उन्हें म्यांमार में प्रताड़ित किया गया है।
सुशासन, विकास और मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, हमें इस सच्चाई को समझने की जरूरत है कि म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं। किसी को शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। उनमें से किसी ने भी इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी आव्रजकों के खिलाफ कार्रवाई कर भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करेगा क्योंकि यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने कहा, किसी रोहिंग्या ने भारत में शरण नहीं मांगी है और हम मानवाधिकारों की चिंताओं के कारण उनके निर्वासन पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। अवैध आव्रजकों को शरणार्थी समझने की गलती न करें। कोई भी सार्वभौम देश अवैध आव्रजकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। यह मुद्दा हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।
गौरतलब है कि करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश जम्मू और हैदराबाद में हैं। रोहिग्या को देश से निर्वासित करना चाहिए या फिर उन्हें शरणार्थियों का दर्जा देना चाहिए, इस बहस के बीच गृह मंत्रालय ने सोमवार को सुप्रमी कोर्ट में रोहिंग्या लोगों को म्यांमार भेजने के लिए शपथ पत्र दाखिल किया है, जिसमें उन्हें भारत के लिए खतरा बताया गया है। न्यायालय में इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।
गृह मंत्री ने सम्मेलन में रोहिंग्या लोगों को निर्वासित करने के बारे में कहा कि भारत किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करेगा। भारत ने 1951 की संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर भी नहीं किया है। राजनाथ सिंह ने कहा, जब म्यांमार उनको वापस बुलाने के लिए तैयार है, तो हमें क्यों उनके निर्वासन पर आपत्ति होनी चाहिए। दत्तू ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि एनएचआरसी रोहिंग्या लोगों के पक्ष में बोलेगा। हम मानवीय आधार पर 40,000 रोहिंग्या के मामले में पक्ष रखेंगे। हम सरकार की नीति पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन हम उनकी मदद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें म्यांमार में सताया जा रहा है।
दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान को कपटपूर्ण करार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि म्यांमार से भागकर भारत में प्रवेश करने वाले रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं, बल्कि अवैध आव्रजक हैं जिन्हें वापस भेजा जाना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि भारत में मौजूद अधिकांश रोहिंग्या लोगों के पास शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी किए गए कार्ड हैं।