स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा से तोड़ा नाता
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी में मायावती के बाद नम्बर दो की हैसियत रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी विधानसभा में नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को पार्टी मुखिया मायावती पर टिकट बेचने जैसे तमाम गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से लगभग बीस साल पुराना नाता तोड़ लिया। वहीं बसपा सुप्रीमो ने स्वामी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
माना जा रहा है कि वो सपा का दामन थाम सकते हैं। अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले ये बसपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मौर्य की प्रेस क्रांफ्रेस की सूचना करीब डेढ़ बजे जब मीडिया को मिली तो किसी को इसका आभास नहीं था लेकिन ढाई बजे मौर्य ने भूमिका बनाने के बाद जब अचानक मायावती की आलोचना शुरू की तब जाकर मालूम हुआ कि उन्होंने बसपा छोड़ने का फैसला लिया है।
मायावती के बेहद विश्वसनीय समझे जाने वाले और पार्टी के पुराने नेता मौर्य के अचानक बसपा से नाता तोड़ने की घोषणा से सियासी गलियारों में हड़कम्प मच गया। मौर्य ने कहा कि वो बरसों से घुटन के माहौल में जी रहे थे।
बहनजी पर टिकट बेचने का आरोप
मौर्य ने कहा 'मै बड़े ही भारी मन से पार्टी छोड़ रहा हूं। पार्टी अध्यक्ष मायावती पैसे लेकर विधानसभा चुनाव में टिकट बेच रहीं हैं। उन्होंने अंबेडकर के सपनों को भी बेच दिया।'
बेच रहीं हैं अंबेडकर का सपना
मौर्य ने आरोप लगाया कि मायावती भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं। बसपा में दलितों का कोई स्थान ही नहीं बचा है। बसपा टिकट की नीलामी करने का बाजार बन गई है। एक-एक सीट पर कई-कई बार टिकट बेचे जा रहे हैं। बसपा अध्यक्ष अंबेडकर के सपनों को बेच रही हैं। वह दिखावे के लिए अंबेडकरवादी हैं। मायावती ने कांशीराम के मिशन की हत्या कर दी है। इससे बसपा के समर्पित कार्यकर्ता बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा कि इन सारी स्थितियों में वह घुटन महसूस कर रहे थे।
मौर्य ने कहा कि बसपा में दलितों की पूछ नहीं है। बसपा अध्यक्ष दिखावे के लिए ही अम्बेडकर जयन्ती भी मनाती हैं। बसपा में सिर्फ सौदेबाजी और टिकटों की नीलामी होती है।
नेता विरोधी दल से इस्तीफा नहीं
मौर्य ने स्पष्ट किया कि वह बसपा से इस्तीफा दे रहे हैं लेकिन नेता विरोधी दल और पडरौना के विधायक पद पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि नेता विरोधी दल के रूप में उन्हें विधायकों का विश्वास प्राप्त है और पडरौना के विधायक पद पर वह रहेंगे या नहीं, इसका फैसला वह पडरौना की जनता पर छोड़ते हैं।
मायावती ने खारिज किए आरोप
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के इस अप्रत्याशित कदम से झल्लायी मायावती ने उनकी निष्ठा को लेकर कई सवाल कर डाले। उन्होंने भी प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल किया कि स्वामी उन्हें बतायें कि 2012 के चुनावों में उनके बेटे-बेटियों को कितने दाम में टिकट बेचे गए।
टिकट की बेजा मांग नहीं की सहन
आनन फानन में बुलाये सम्मेलन में बहनजी ने स्वामी को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि 'स्वामी प्रसाद अपने साथ बेटे और बेटी के लिए भी विधानसभा का टिकट चाहते थे। मैने उनसे साफ कह दिया था कि आपको टिकट दे दूंगीं लेकिन बेटे-बेटी को टिकट नहीं दूंगीं इसीलिए मौर्य ने पार्टी छोड़ी है। वह यदि आज पार्टी न छोडते तो दो-तीन दिन बाद मैं खुद ही उन्हें पार्टी से निकाल देती।'