भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री को याद आए 'वो' पंडित जी और गांववाले!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
ऩई दिल्ली: चुनावी सरगर्मियां के बीच सम्पन्न हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में नई रणनीति पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने चुनाव जीतने का एक नया मंत्र दिया। बजट पर चर्चा की और सांसदों को निर्देश दिया कि अपने क्षेत्र में जाकर वो लोग आम कार्यकर्ताओं से मिल बैठकर टिफिन पार्टी करें। इस पार्टी का मकसद उनकी सुनना और सरकार की नीतियों और वर्तमान बजट के सकारात्मक पहलुओं को बताना होगा। 2014 में चाय पर चर्चा और 2019 से पहले कुछ और समय बिताने के लिए लंच पर चर्चा का मतलब साफ है कि सांसदों को अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की नसीहत दी जा रही है। इसके साथ ही पीएम ने एक कहानी के माध्यम से सांसदों को अपने बल पर आगे बढ़ने की सलाह दी।
राजस्थान उपचुनावों में हार का असर दिखने लगा है। इसका आभास पार्टी अध्यक्ष के चुनावी दौरे करा रहें हैं। तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी की जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की नसीहत जता रही है, नतीजतन भारतीय जनता पार्टी चुनाव मोड में आ गई है। तभी तो संसदीय दल की बैठक में सांसदों को अपने क्षेत्र में जाकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन मीटिंग करने की सलाह दी गई। प्रधानमंत्री ने कहा- बूथों पर अपने-अपने टिफिन लेकर जाएं और लोगों के साथ मिलकर खाना खाएं...लोगों के बीच बजट को लेकर बात करें और उन्हें बताएं किस प्रकार यह बजट जनहित में है।
ऐसा नहीं चलेगा
बजट सत्र के पहले हिस्से के अंतिम दिन भाजपा संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने सांसदों को एक कहानी भी सुनाई। गांव के एक व्यक्ति की कहानी जो नौ दिनों तक पूजा करवाता है, पंडितजी से कथा सुनता है, नौ दिन की मेहनत के बाद गांव वालों को भंडारे पर खाने को बुलाता है, और गांव वाले खा-पीकर चले जाते हैं। यानी सांसदों को इशारा साफ था कि ऐसा कब तक चलेगा कि पीएम मेहनत करते रहें और वो गांव वालों की तरह खा पीकर निकलते रहें। उन्हें भी मेहनत करनी होगी, जनता से जुड़ना होगा। प्रधानमंत्री की इस कहानी से ये भी स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री को अंदेशा है कि आगामी चुनावों के नतीजे अपेक्षा के अनुरुप शायद नहीं होंगे और अब तक जीत का सेहरा अपने माथे पर बंधवाने वाले पीएम किसी भी तरह के अनचाहे नतीजे का ठीकरा अपने माथे पर नहीं फुड़वाना चाहते।
टिफिन पर चर्चा
इससे पहले यूपी विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने टिफिन मीटिंग पर काम किया था। पीएम मोदी जब चुनाव प्रचार के लिए वाराणसी गए थे तो उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ खुले में बैठक खाना खाया था। जिसकी तस्वीरें भी खूब चर्चा में रहीं। इसके अलावा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कि उन तस्वीरों की भी चर्चा आम रही जिनमें वो दलित और ओबीसी कार्यकर्ताओं के घर जाकर खाना खाते रहे हैं।
पेट बढ़ाएगा वेट
आमतौर पर दिल तक पहुंचने का रिश्ता पेट से होकर गुजरता है ऐसा माना और कहा जाता है। शायद पार्टी को लगता है कि पार्टी का वेट या रसूख बढ़ाने का काम करेगा। आम कार्यकर्ता खुद का अपने बड़े नेताओं से जुड़ाव महसूस करेगा और जमीन पर दिल लगार काम करेगा। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चाय पर चर्चा कर बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित किया था ठीक वैसे ही लोकसभा चुनाव 2019 में टिफिन मीटिंग के आइडिया पर काम करने वाली है। इसके तहत सांसद अपने क्षेत्र में हर बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं से संपर्क कर बैठक करेंगे। यहां पेट पूजा के साथ सरकार की उपलब्धियों, योजनाओं, तैयारियों और विपक्ष के खिलाफ अपनी रणनीति से कार्यकर्ताओं को अवगत करवांएगे।
मिशन 2019 के लिए बुकलेट तैयार
मिशन 2019 के लिए भी पार्टी ने कमर कस ली है। पार्टी ने एक बुकलेट तैयार की है। इस बुकलेट में धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के भाषण, वित्त मंत्री अरुण जेटली के भाषण, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भाषण को प्रमुखता स्थान दिया गया है। इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा चार वर्षों में किए गए कार्यों का ब्यौरा भी दिया गया है। किसान और ग्रामीण विकास को लेकर सरकार की विकासपरक नीतियों को प्राथमिकता के साथ शामिल किया गया है। इस बुकलेट में शाह ने 2014 से लेकर अब तक की योजनाओं का जिक्र किया है।