हंगामे के चलते नहीं पेश हो पाया अविश्वास प्रस्ताव, दोनों सदन गुरुवार तक स्थगित
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: संसद का एक और दिन यूं ही चला गया। हंगामे की वजह से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पटल पर नहीं रखा जा सका। अन्नाद्रमुक और टीआरएस के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। आज भी अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। वहीं अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे की वजह से राज्यसभा भी आज शुरू होने के कुछ ही देर बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
बजट सत्र के दूसरे चरण में पिछले दो सप्ताह की कार्यवाही हंगामे के कारण बाधित रहने के बाद तीसरे सप्ताह में भी कोई कामकाज नहीं हो पा रहा है लोकसभा की कार्यवाही आज सुबह जैसे ही आरंभ हुई तो अन्नाद्रमुक और टीआरएस के सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया लेकिन हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। अन्नाद्रमुक और टीआरएस के सदस्य ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगा रहे थे। टीआरएस के सदस्यों ने ‘एक राष्ट्र, एक नीति’ की मांग वाली तख्तियां ले रखी थीं।
तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा में जोर-शोर से नारेबाजी की। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलती रहे, यह सरकार की भी जिम्मेदारी है। आखिरकार सभापति ने सदन की कार्यवाही 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी और फिर दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। वहीं हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही भी 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने से नाराज चल रहीं वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी लगातार लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की कोशिश कर रही हैं। इसको लेकर टीडीपी सांसदों ने संसद परिसर भी प्रदर्शन किया।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन की कार्यवाही में गतिरोध के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा, 'देखिए, हम नहीं चाहते कि सदन में सिर्फ हंगामा हो और कार्यवाही बाधित होती रहे। हम तीन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। इनमें से एक है बैंकिंग धोखाधड़ी, जिसमें अरबों रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से गायब हो गए। दूसरा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा और तीसरा कावेरी जल प्रबंधन, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार इन मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है।