राज्य सभा में कांग्रेस का हंगामा, बोल नहीं पाए भारत रत्न सचिन
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: अपने शॉर्ट्स से विरोधियों को हमेशा चौंकाने वाले मास्टर ब्लास्टर संसद में बेबस नजर आए। फ्रंटफुट पर खेलने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को उनके ही साथी सांसदों ने बोलने का मौका नहीं दिया। वो जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए जोरदार हंगामा शुरु हो गया। संसदीय कार्यवाही को बाधित करने का काम कांग्रेस सांसदों ने किया। जो प्रधानमंत्री के चुनावी बयान को लेकर किसी भी कीमत पर बैकफुट पर आने को तैयार नहीं है। इस हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
दरअसल, सचिन का ये डेब्यू भाषण था। 2012 में सांसद मनोनीत होने के बाद सचिन राज्यसभा में पहली बार बोलने जा रहे थे। कई सांसदों ने अपना गुस्सा और बेबसी संसद के बाहर जाहिर की है। उन्होंने कांग्रेस के रवैये की निंदा की है। केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा- हम कांग्रेस के इस बर्ताव की निंदा करते हैं। स्पीकर के बोलने के बावजूद सांसद नहीं माने और सचिन तेंदुलकर को बोलने तक नहीं दिया।
राज्यसभा सांसद और अभिनेत्री जया बच्चन ने भी नेताओं के इस रवैये को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा- ये तरीका गलत है। सचिन का बोलना तय था। फिर भी दुनिया में नाम कमाने वाले खिलाड़ी को बोलने नहीं दिया गया। ये शर्मनाक है। मेरा सवाल है कि बोलने का हक क्या राजनेताओं को ही है?
राइट टू प्ले पर बोलना था
भारत रत्न और पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर संसद भवन में अपना पहला भाषण नहीं दे पाए। उन्हें गुरुवार को राज्य सभा में 'राइट टू प्ले' पर बोलना था, लेकिन वह भाषण की शुरुआत करते इससे पहले ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद संसद की कार्यवाही 22 दिसंबर को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के बीच सभापति वेंकैया नायडू ने लगातार विपक्ष से अपील की, 'जो व्यक्ति बोल रहा है वह भारत रत्न है। इसे पूरा देश देख रहा है। कृपया शांत हो जाइए। आपके चिल्लाने से कुछ होगा नहीं, लेकिन विपक्ष नहीं माना। अंत में कार्यवाही 1 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। सचिन वाइफ अंजलि के साथ राज्य सभा पहुंचे थे। देश में खेल और खिलाड़ियों को लेकर व्यवस्था, ओलिंपिक की तैयारियों और किस तरह भारतीय खिलाड़ी दुनियाभर में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं इस पर सचिन को बोलना था।
गैर मौजूदगी पर भी उठे हैं सवाल
आपको बता दें कि पिछले कुछ सत्रों में सचिन और अभिनेत्री रेखा के अनुपस्थिति का मुद्दा उठता रहा है। पिछले सत्र में नरेश अग्रवाल ने कहा था कि जब सचिन और रेखा सदन में आते ही नहीं हैं, तो क्यों नहीं उनकी सदस्यता रद्द कर उन्हें सदन से निकाल दिया जाए। सचिन और रेखा की उपस्थिति काफी कम रही है। नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर हम विजय माल्या को सदन से निकाल सकते हैं तो इन्हें क्यों नहीं।
सचिन तेंदुलकर और रेखा दोनों ही 2012 में सदन में मनोनीत हुए थे। जिसके बाद करीब 348 दिनों में सचिन सिर्फ 23 दिन और रेखा मात्र 18 दिन ही सदन में रहें। दोनों 2017 के मानसून सत्र में भी उपस्थित नहीं रहे हैं