कि आया मौसम...बयानबाज़ी का
वीरेन्द्र कौशिक
पतझड़ सावन वसंत बहार, एक बरस में मौसम चार और पांचवा मौसम...। अरे भाई यही तो है वो मौसम जिसे ज़रुरत के हिसाब से नाम दे दिया जाता है मसलन प्यार का मौसम, यादों का मौसम, वादों का मौसम और ये वादों का मौसम जो है ना भईया, आता है ठीक चुनाव के मौसम से पहले और ये जब कभी अपनी मर्जी से नहीं भी आता है तो राजनीति के महारथी इसे ललकार कर बुला लेते हैं ठीक वैसे ही जैसे ट्रॉय के राजकुमार हैक्टर को अखिलिस ने मैदान-ए-जंग में बुला ही लिया था। जैसे कि जब किसी नई कॉलोनी में प्लॉट कटते हैं तो बयानों का मौसम आ जाता है। मेरा मतलब पूरे भुगतान से पहले पेशगी के तौर पर दी जाने वाली रकम। वैसे ही हर चुनाव से पहले नये-नये वादों और नेता लोगों के सीधे और पलटवार बयानों का मौसम आ जाता है। इस मौसम में आरोप-प्रत्यारोप के रोज़ नये गुल खिलते हैं। अब कहना ठीक तो नहीं ही लगता लेकिन कहे बिना रहा भी नहीं जा रहा। यानी जो भोली-भाली जनता को ठगते हैं।
हिन्दी अकादमी के उपाध्यक्ष रह चुके कांग्रेस के दिग्गज नेता के मन में अचानक असंभव को संभव करने की इच्छा ने जन्म लिया और कमाल तो देखिये कि उन्होंने इस दूधमुहीं बच्ची को सम्भलवाना भी चाहा तो किसे? जी हां हमारे युवा नेता राहुल गांधी को। यह इच्छा थी बरसों के चली आ रही जाति आधारित आरक्षण परम्परा को ख़त्म करने की और उसे आर्थिक आधार पर फिर से जीवित करने की।
एक बार जिसने भी सुना बस सुनता ही रह गया, बयान आया और आते ही हवा में सनसनी घोल दी। यूं कहें कि मीडिया और चैनल वालों के लिये गर्मागरम बहस की नई खिड़की खोल दी। इस हवा के दम पे जितनी पतंग उड़ सकती थी उड़ायी गई और तत्पश्चात कांग्रेस आलाकमान ने उचित समय में आधिकारिक बयान देकर तमाम अटकलों पे बहुत ही ख़ुबसूरती से लगाम लगा दी। सोनिया गांधी ने कांग्रेस की नीतियों और वर्तमान का हवाला देकर आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था को ही भारत के लिए सही बताया। सोनिया गांधी ने यह भी कहा जिन्हें आरक्षण दिया गया है उनसे कांग्रेस आरक्षण वापस कैसे ले सकती है। बाद में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन को जनार्दन द्विवेदी की निजी इच्छा बताया।
तकनीकी रूप से तो बात ख़त्म हो जाती है लेकिन वास्तव में शुरू हुई है क्योंकि समझने वाले समझ ही गए होंगे कि मामले का सीधा सम्बंध कांग्रेस द्वारा अपने वोट बैंक को ये यकीन दिलाने से जुड़ा है कि कोई कुछ भी कहे, कांग्रेस राज में उनके हित सुरक्षित हैं। चुनावी मौसम के बाद वोटों की फसल के दम पे कांग्रेस सत्ता पर फिर काबिज़ होगी कि नहीं अब यह हम क्या बताएं। आने वाला गर्मी का मौसम अपने आप बता देगा। जब तक आप थोड़ा वसंत के मौसम का मज़ा लीजिए।