‘क्लीन एंड ग्रीन बिंदापुर’ आम लोगों की खास मुहिम
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: बिंदापुर में चल रही सामाजिक मुहिम किसी खास व्यक्ति द्वारा चलाई जा रही आम सी नहीं हैं, बल्कि इसे तो मुट्ठी भर लोग सिर्फ दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर अंजाम दे रहें हैं। ये कोशिश भी राजनीति की रोटियां सेंकने के आदी नेताओं और उनके पिछल्लगू असामाजिक तत्वों को रास नहीं आ रही है। इसी वजह से ‘क्लिन एंड ग्रीन बिंदापुर’अभियान से जुड़े लोगों को धमकियां मिलने लगी हैं। बिंदापुर दक्षिणी पश्चिम दिल्ली के अंतर्गत आता है।
धमकियों से इलाके के लोग हैरान हैं। आये दिन कोई छुटभइया नेता आता है और अपने अपनों का पक्ष लेते हुए इस मुहिम को मुंह भी चिढ़ा जाता है। क्लिन इंडिया के जमाने में इस तरह धमकियां उनकी सोच से परे है। इस मुहिम से जुड़े एक ऐसे ही शख्स हैं पंकज ध्यानी। जिन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान की सोची। उन्होंने बताया चारों तरफ फैली गंदगी और तमाम तरह की समस्याओं को देखने के बाद कुछ लोगों ने मिलकर क्लिन एंड ग्रीन बिंदापुर नाम की मुहिम चलाई। शुरुआत में पांच लोग ही इस मुहिम से जुड़े थे। धीरे-धीरे हाथों में झाड़ू थामकर साफ-सफाई करते लोगों को देख कारंवा बढ़ता गया।
कारवां बढ़ा तो इससे परेशान होने वालों की तादाद भी बढ़ी। बात धमकी तक पहुंच तक आ गई। लोगों ने इलाके के नेताओं को टटोला तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। पंकज एक घटना का जिक्र करते हैं जो बीते महीने की है। उन्होंने बताया कि वो बिंदापुर की मदर डेयरी से दूध लेकर घर जा रहे थे। उनके आगे-आगे कुछ महिलाएं चल रही थी। वहीं पास में एक लड़का पेशाब कर रहा था। इस पर महिलाओं के साथ-साथ उन्होंने भी आपत्ति जताई और उसको सार्वजनिक स्थल पर पेशाब नहीं करने की नसीहत दी। यही नसीहत उनके गले का फंदा बन गया।
कुछ देर बाद वो लड़का अपने साथियों को बुला लाया और गाली-गलौच करने लगा। शोहदों का एक वीडियो तैयार हुआ, जिसे डिलीट करने की जिद्द भी की गई और नहीं करने पर पीटने की धमकी भी मिली। फिर भी ड्राइव के जुझारुओं ने हार नहीं मानी और अपनी मुहिम पर लगे हुए हैं। इस बीच धमकी की औपचारिक तौर पर शिकायत तो नहीं की लेकिन इलाके के नेता जी को सूचित जरूर किया, जिस पर जवाब का आज तक इंतजार है।
नालियों में भर जाता है पानी
बिंदापुर स्थित डीडीए फ्लैट्स की तरफ आईये तो तस्वीर साफ हो जाते है। डीडीए को लेकर अभियान से जुड़े दुखी लोगों की नाराजगी समझ में आती है। इसकी जड़ वो छोटी नालियां हैं जो पीडब्ल्यूडी ने बनवाई है। निकास नहीं होने से हर बार इनमें पानी भर जाता है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। समस्यायें इसके अलावा भी कई हैं। एक तो जो कमर्शियल प्लॉट है उनमें बाहरी लोगों ने कूड़े का ढेर लगा दिया है। पिछले 10 सालों से सड़कें नहीं बनी हैं। व्यवस्था लापता है। लेकिन ये कुछ जुझारू इसी उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहें हैं कि शायद कुछ भला हो जाएगा।
रविवार का दिन क्लीन बिंदापुर के नाम
दिलचस्प होती है इनकी मुहिम। ना ये कोई सेलिब्रेटी हैं और ना कोई समाज सेवक। ये वो आम आदमी है जो हफ्ते में एक बार छुट्टी के दिन यानी रविवार को मिलते हैं और अपनी मुहिम में जुट जाते हैं। करीब पांच महीने से ये ड्राइव चल रही है। हर रविवार को दो घंटे सुबह सात से नौ बजे तक लोग इकट्ठा होते हैं और पूरे बिंदापुर की सफाई करते हैं। इस मुहिम में किसी भी तरह की सरकारी और एनजीओ की सहायता नहीं मिली है। कोई पांच झाड़ू खरीद लेता है तो कोई कूड़े उठाने वाले दस्ताने ले आता है। बाकि के लोग घरों से अपना-अपना झाड़ू और फावड़ा लाकर मुहिम में सहयोग देते हैं।
किसी भी नेता को इस जन-सरोकार वाले अभियान से कोई सरोकार नहीं है। लोग गुस्से में हैं। उन्हें अपनी मेहनत के बदले कुछ नहीं चाहिए, लेकिन जानते हैं कि किसी रसूखदार के जुड़ने से इस अभियान को और गति मिलेगी। लेकिन उन्हें जन प्रतिनिधि ही मायूस कर रहें हैं। ये एक ऐसी मुहिम जिसे लेकर पीएम आशान्वित हैं। सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं इलाके के विधायक नरेश बालियान लोगों के साथ खड़े नहीं दिख रहें हैं। ना ही निगम पार्षद देशराज राघव ने। विधायक 'जी' और निगम पार्षद दोनों ही आम आदमी पार्टी के हैं। देशराज निर्दलीय चुनाव जीतकर निगम पार्षद बने थे और बाद में आप में शामिल हो गए थे।
सेल्फी लेने ही पहुंचते हैं जन-नायक
इस मुहिम से एमसीडी के सफाई कर्मचारी बेहद खुश हैं। क्योंकि सोमवार को उनको इलाका साफ-सुथरा मिलता है। वहीं आम लोगों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता देखकर उनमें भी फुर्ती का संचार होता है। हां, एक बात और। इस मुहिम से भले नेता कन्नी काटें लेकिन सेल्फी से किसी को परहेज नहीं है। भीड़ इकट्ठा देखकर नेताओं के जज़्बात जाग जाते हैं और सेल्फी का दौर चल निकलता है। होड़ इसे अपने-अपने ग्रुप में डालने की साफ दिखती है। नेता किस्म के लोग भी आ जाते हैं और सेल्फी खिंचवाकर अपने-अपने ग्रुप में डाल देते हैं।