जी हां! जल्द ही सरकार के पास होगी आपके बैंक बचत खातों में जमा पूंजी की चाभी, कानून तैयार
प्रवीण कुमार
नई दिल्ली : नोटबंदी, जीएसटी और बैंकों का एनपीए संकट दूर करने के लिए सरकारी खजाने से लाखों करोड़ का भुगतान करने के बाद मोदी सरकार बैंकिंग व्यवस्था में एक ऐसा कानून लाने पर विचार कर रही है जिसका व्यापक असर न सिर्फ बैंकों पर पड़ेगा, बल्कि बैंक में बचत खाते में पैसा रखने वाला एक-एक ग्राहक इस कानून के दायरे में रहेगा। इतना ही नहीं, इस कानून से 'परमानेंट नोटबंदी' का नया वित्तीय ढांचा खड़ा हो जाएगा।
क्या है मोदी सरकार का नया कानून?
केन्द्र सरकार फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (एफआरडीआई बिल) 2017 को तैयार कर 15 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करने जा रही है। संसद के दोनों सदनों में पुख्ता बहुमत होने के कारण यह बिल आसानी से पास होकर नया कानून भी बन जाएगा। इससे पहले इस बिल को केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और तब इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास सुझाव के लिए भेज दिया गया था। अब एक बार फिर केन्द्र सरकार संसदीय समिति की सुझावों को देखते हुए नए बिल का प्रस्ताव संसद में पेश करेगी।
इस कानून से ऐसे बदलेगा आपका बैंक
केन्द्र सरकार के नए एफआरडीआई कानून से मौजूदा कानून डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन खत्म कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में अलग-अलग बैंकों में जमा आपके पैसे की गारंटी इसी कानून से मिलती है। इस कानून में एक अहम प्रावधान कि किसी बैंक के बीमार होने की स्थिति में यदि उसे दिवालिया घोषित किया जाता है तो बैंक के ग्राहकों का एक लाख रुपये तक का डिपॉजिट बैंक को वापस करना होगा, लिहाजा इसी कानून से देश की मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय मानी जाती है। इस सुरक्षित बैंकिंग व्यवस्था के चलते ही देश में बैंकों के ग्राहकों को बैंक में विश्वास कायम रहता है कि उनका पैसा कभी डूब नहीं सकता। किसी बैंक को दिवालिया करने पर भी सरकार ग्राहकों के डिपॉजिट की गारंटी इस कानून से देती है। लेकिन नए कानून के जरिए ऐसा प्रावधान किया जाएगा जहां यह धारणा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी कि आपका पैसा सुरक्षित है। पूराने कानून को हटाते हुए वित्त मंत्रालय के अधीन एक नए रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन को स्थापित किया जाएगा। फिलहाल किसी बैंक की वित्तीय स्थिति का आंकलन करने और उसे वित्तीय संकट से बाहर निकलने की सलाह देने का काम रिजर्व बैंक करता था लेकिन एफआरडीआई कानून पास करने के बाद नया रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन खुद इस काम को करने लगेगा।
नए कानून का सबसे खतरनाक प्रावधान
फिलहाल देश में बैंक में वित्तीय संकट की स्थिति पैदा होने पर बैंको को बेलआउट पैकेज दिया जाता है। यह बेलआउट पैकेज केन्द्र सरकार अपने खजाने से देती है और कॉरपोरेट सेक्टर में बैड लोन बांटकर बर्बाद हुआ बैंक इस बेलआउट पैकेज के सहारे दोबारा खड़े होने की कोशिश करता है। एफआरडीआई कानून के तहत प्रावधान किया गया है कि अब बेलआउट की जगह बैंक बेल-इन का सहारा ले सकेंगी। लिहाजा, अब बैंकों के एनपीए की समस्या तीव्र होने पर नया रिजोल्यूशन कॉरपोरेशन यह तय करेगा कि बैंक में ग्राहकों के जमा पैसे में ग्राहक कितना पैसा निकाल सकता है और कितना पैसा बैंक को उसका एनपीए पाटने के लिए दिया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर मौजूदा समय में बैंक के बचत खाते में पड़े आपके एक लाख रुपये को आप जब चाहें और जितना चाहें निकाल सकते हैं। लेकिन नया कानून आ जाने के बाद केन्द्र सरकार नए रिजोल्यूशन कॉरपोरेशन के जरिए तय करेगी कि आर्थिक संकट के समय में ग्राहकों को कितना पैसा निकालने की छूट दी जाए और उनकी बचत की कितनी रकम के जरिए बैंकों के बैड लोन को पाटने का काम किया जाए।