योगी के शासन में भी उत्तर प्रदेश में कम नहीं हुआ गुण्डा 'राज'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपराध को लेकर काफी सजग हैं। तभी तो आते ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि अपराधियों के लिए अब राह आसान नहीं रहेगी और वो जो अपराध करना नहीं छोड़ सकते प्रदेश छोड़कर जा सकते हैं। छेड़खानी की शिकायतों से निपटने के लिए एंटी रोमियो स्कावड भी तैयार किया। काफी विवादास्पद रहा सीएम का ये निर्देश हालांकि उसकी तारिफ भी बहुत हुई। सख्त कानून का पैमाना यही होता है कि अपराधियों में अपराध के नतीजों को लेकर खौफ पैदा कर दिया जाए। इतना कि वो किसी भी वारदात को करने से पहले सौ बार सोचें। लेकिन लगता है उत्तर प्रदेश में गुण्डाराज खत्म करने के ऐलान के साथ आई सरकार अब तक लगाम लगाने में नाकामयाब रही है। हवाई बातें तो बहुत हो रहीं हैं और उनके साथ ही अपराध की फेहरिस्त भी लंबी हो रही है। अगर एटी रोमियो दस्ता इतना कारगर और सफल होता तो मथुरा के एक भाई को शोहदों से बचाने के एवज में गोलियां नहीं खानी पड़ती। उसे मरना नहीं पड़ता।
मथुरा में बुधवार (3 मई 2017) को गुण्डों और लुटेरों के हौसले इतने बुलंद रहे कि बहनों के साथ सफर कर रहे चंद्रशेखर को छेड़खानी से बचाने की कीमत जान गंवा कर करानी पड़ी...गुण्डों की बदनियती को परखते हुए भाई ने ऐतराज जताया तो उसे बेदर्दी से गोली मार दी गई और मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया। चंद्रशेखर बहनों को लेकर छाता से डीग जा रहे थे। पुलिस प्रशासन लाचार है और रेप और छेड़खानी की घटनाओं पर कोई रोक नहीं लग पाई है। ललितपुर की घटना तो दिल दहलाने वाली है जहां 4 अप्रैल को एक किशोरी के साथ गैंगरेप कर उसे चाकूओं से गोदकर मारने तक की कोशिश हुई। खुशकिस्मती से बच्ची बच गई। हैरानी इस बात पर है कि ये सारी वारदात एसएसपी आफिस के सामने हुई।
पिछले महीने ही प्रतापगढ़ और आगरा में दो अलग-अलग वारदातों में सिपाहियों को अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया है। कुल मिलाकर यूपी में अपराधी अब भी किसी से डरते नहीं है। कानून का खौफ उनमें नहीं है। जरूरत इस बात की है सीएम मुद्दे की जड़ तक पहुंचे। इसकी मूल में है कानून के रखवालों का सत्ता की हनक तले दबे रहना। योगी ही नहीं किसी भी मुख्यमंत्री के लिए स्थापित व्यवस्था से लड़ना उसे मात देना आसान नहीं होगा। यही हो रहा है। इन दिनों हिन्दुत्व वादी विचारधारा की विजय पताका पूरे प्रदेश में लहरा रही है। ये सोच भी कानून-व्यवस्था में रोड़े अटका रही है। सो सूबे में क्राइम पर नियंत्रण राजनीतिक चुनौती के तौर पर सामने आ रही है।
ताजा उदाहरण मेरठ के भाजपा नेता संजय त्यागी का ही ले लें। अप्रैल में ही मेरठ में भाजपा नेता सरेआम गुंडई और साथ में समर्थकों का बवाल देखने को मिला। ये बवाल नेता के बेटे अंकित त्यागी की गाड़ी पर अवैध हूटर लगा होने के कारण शुरू हुआ। चश्मदीदों के अनुसार भाजपा नेता के बेटे ने दरोगा और इंस्पेक्टर के साथ मारपीट की, और उनकी वर्दी फाड़ डाली। इतना सब होने के बाद भी नेता के बेटे को बाइज्जत छोड़ दिया गया।
हिन्दुत्व के झण्डाबरदार ही थे जिन्होंने आगरा और सहारनपुर में उपद्रव मचाया। आगरा की पुलिस चौकी पर पत्थरों और असलहों से हमला बोला था। विहिप, बजरंग दल जैसे संगठन ही थे जिन्होंने पांच आरोपियों को छोड़ने का दबाव पुलिस पर बनाया था। साफ है कि पहले जो गुंडे हरे रंग में आते थे अब बस उन्होंने केसरिया रंग ओढ़ लिया है। गुंडे बदल गए हैं लेकिन सोच और हरकतें वही है। पुलिस, प्रशासन का डर खत्म रत्ती भर का नहीं है। सपा का समय गुजर गया है लेकिन इन मुट्ठी भर गुण्डों के लिए नए युग का सूत्रपात हुआ है। जहां ये अपनी धौंस जमाने के लिए भी पार्टी विशेष का चोला पहन रहें हैं। ये हिन्दुवादी चोला ही जाने अनजाने इन्हें राजनीतिक परिश्रय दे रहा है।
सो अगर योगी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश वाकई अपराध मुक्त प्रदेश हो तो उन्हें इन चोलाधारियों पर नकेल कसने का तरीका खोजना होगा। उन्हें समझाना होगा कि कानून से ऊपर वो नहीं है। सीएम को ऐसों के साथ मंच भी साझा करने से बचना होगा जो आरोपी की श्रेणी में आते हैं। सख्त संदेश जारी करना होगा कि पुलिस प्रशासन के साथ बेअदबी का खामियाजा गुण्डा एलीमेंट्स को भुगतना पड़ेगा नहीं तो योगी को भी सूबे में गुण्डाराज के पोषक के तौर पर जाना जायेगा। उनके वायदे भी कागजी साबित होंगे, उन्हें भी जुमलेबाज सीएम का खिताब मिल जाएगा।