जंतर-मंतर से : सहारनपुर के दलितों ने मांगा 'संघवाद' और 'जातीय आतंकवाद' से आजादी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसक घटनाओं के बाद चर्चा में आई भीम आर्मी के दलित कार्यकर्ताओं पर मुकदमा और गिरफ्तारी के विरोध में रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों दलित कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के उपलक्ष्य में निकाली जा रही शोभायात्रा को रोकने की वजह से शुरू हुए विवाद में दोनों पक्षों की ओर से आगज़नी और पत्थरबाज़ी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद दलितों के 25 घरों को जला दिया गया था।
भीम आर्मी के संस्थापक एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का आह्वान किया था जिसमें रविवार को सैकड़ों लोग शामिल हुए। इस दौरान चंद्रशेखर आजाद ने तपती धूप में तकरीबन 20 मिनट तक भाषण दिया और भाषण देते-देते बेहोश हो गए। गुजरात के उना में दलितों के साथ मारपीट की घटना के बाद सुर्खियां में आए जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्र उमर ख़ालिद भी जंतर-मंतर पर मौजूद थे।
चंद्रशेखर आजाद ने पुलिस पर जान-बूझकर दलितों को इस मामले में फंसाने का आरोप लगाया। चंद्रशेखर ने कहा कि उनके सरेंडर करने की स्थिति में भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह को नेतृत्व सौंपा गया है। उन्होंने कहा, 'हम लोग मरते दम तक इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे।' सहारनपुर में पुलिस ने चंद्रशेखर आजाद और कई दलितों पर दर्जनों मामले दर्ज किए हैं।
सहारनपुर के एसएसपी सुभाष चंद्र दूबे ने बताया कि 9 मई को प्रदर्शन के सिलसिले में भीम आर्मी के सदस्यों पर कुल 16 मुकदमे दर्ज हैं जिनमें चंद्रशेखर का नाम भी शामिल है। इनमें से 10 मुकदमे उन पत्रकारों ने दर्ज कराए हैं जिनकी मोटरसाइकिलें जलाई गई थीं। दलितों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर इलाके में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के दलित इस प्रदर्शन में शामिल हुए जिसमें ब्राह्मणवाद, 'संघवाद' से आज़ादी और जय भीम के नारे लगाए गए। लोग हाथों में नीला तिरंगा और पंचशील के झंडे लेकर पहुंचे थे। हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिसपर जातीय आतंकवाद नहीं सहेंगे के स्लोगन लिखे थे।
चंद्रशेखर ने मंच से अपने सरेंडर करने के फैसले की घोषणा कर दी थी, लेकिन मंच पर उनकी तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। भीम आर्मी के सदस्य संजीव जाटव के अनुसार, अब बाद में तय होगा कि चंद्रशेखर कब और कहां सरेंडर करते हैं।