दुष्कर्म मामले में 'स्वयंभू भगवान' आसाराम दोषी करार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
जोधपुर: करोड़ों लोगों को सत्य और धर्म की राह दिखाने वाले धर्मगुरु आसाराम बापू को जोधपुर कोर्ट ने दोषी ठहराया है। नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में 2013 से जोधपुर जेल में बंद आसाराम को जज मधुसूदन शर्मा ने दोषी करार दिया है। इस केस में आसाराम के अलावा दो अन्य शिल्पी और शरतचंद्र को भी दोषी करार दिया गया है वहीं दो अन्य को बरी कर दिया गया है। राम रहीम के मामले से सबक लेते हुए केन्द्र सरकार ने पहले ही राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सरकारों को एडवाइजरी जारी कर दी थी।
आसाराम पर पॉक्सो और अजा-जजा एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं। केस में दोषी ठहराए जाने के बाद आसाराम को 10 साल से उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि आसाराम को किन धाराओं में दोषी करार दिया गया है। यह सुनवाई जेल में बैरक नंबर दो के पास बने बैरक में हुई। डेरा चीफ राम रहीम पर फैसले के दौरान हुई हिंसा से सबक लेते हुए केंद्र और राज्यों ने पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं साथ ही जोधपुर में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी है। फैसले के मद्देनजर केंद्र सरकार ने दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा को सुरक्षा कड़ी करने के निर्देश दिए हैं।
गांधीवादी विचार धारा में विश्वास
उधर, जेल में आसाराम ने फैसले की पूर्व संध्या पर कहा- "अब भगवान से ही उम्मीद है, होई है वही जो राम रचि राखा।" मंगलवार को जोधपुर कलेक्टर रविकुमार सुरपुर व पुलिस उपायुक्त अमनदीप सिंह जेल में व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर ने आसाराम से पूछा- "फैसले को लेकर क्या सोच रहे हो?" इस पर आसाराम ने कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वह मंजूर होगा। वह और उनके समर्थक गांधीवादी विचारधारा के हैं और अहिंसा में यकीन रखते हैं।
ये था मामला-
नाबालिग से दुष्कर्म का यह मामला मप्र, उप्र व राजस्थान से ज़ुड़ा है। पीड़िता उप्र के शाहजहांपुर की मूल निवासी है। वह मप्र के छिंदवाड़ा के आश्रम में रह कर पढ़ाई कर रही थी। आसाराम पर आरोप है कि उसने पीड़िता को जोधपुर के पास मनाई स्थित अपने आश्रम में बुलाया और 15 अगस्त, 2013 की रात उससे दुष्कर्म किया।
बाद में पीड़ित ने इसका विरोध किया तब आसाराम ने उसे धमकाया था, इसलिए पीड़िता ने दिल्ली जाकर 20 अगस्त, 2013 को कमला नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। वहां से केस जोधपुर रेफर किया गया था। जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त, 2013 को मध्य प्रदेश के इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है।
राजनीति को ठहराया था जिम्मेदार
अपनी गिरफ्तारी के बाद करोड़ों रुपए का महल खड़ा करने वाले स्वयं भू भगवान आसाराम बापू ने तत्कालीन यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने इसे सोनिया गांधी और राहुल गांधी की साजिश करार दिया था। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार बदलने के साथ उनकी किस्मत भी बदलेगी क्योंकि गुजरात से खास रिश्ता रखने वाले आसाराम को उम्मीद थी कि उनके राजनैतिक संबंध काम आयेंगे। फिर भी उन्हें राहत नहीं मिल पाई। इसकी वजह वो पॉक्सो एक्ट है जिससे उनका निकलना शुरु से ही असंभव था।
गौरतलब है कि आसाराम बापू पहले भी कई मामलों में आरोपी रहें हैं। 2008 में ही गुजरता स्थित उनके मोटेरा आश्रम में दो बच्चों का शव साबरमती नदी के किनारे मिला था। तब परिवार ने इसके खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया था। लोगों के आक्रोश को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकार ने रिटायर्ड जज जस्टिस डीके त्रिवेदी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कराई। जांच रिपोर्ट तैयार हो गई लेकिन आज तक उसे विधानसभा के पटल पर रखा नहीं गया। जो सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। परिवार कई विभागों तक गया लेकिन उसके हाथ कोई सफलता नहीं लगी। थक कर पीड़ित पक्ष ने 2014 में कोर्ट का दर खटखटाया और सीबीआई जांच की मांग की लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया।