भारत विभाजन का असली गुनहगार कौन?
71 बरस पहले हमारे पूर्वजों ने गुलामी के परचम को मां भारती के माथे से हटाकर औपचारिक तौर पर स्वाधीनता हासिल की थी। लिहाज़ा इस आज़ादी दिवस के अवसर पर स्वाधीनता के उन महावीरों को याद करते हुए आज की नई पीढ़ियों को देश के बंटवारे से जुड़ी कुछ बातों से रू-ब-रू कराना जरूरी है ताकि स्वाधीनता के महावीरों को लेकर उनके मन में कोई भ्रम अथवा वहम की गुंजाइश न हो। क्योंकि मुल्क के बंटवारे की तोहमत अक्सर गांधी जी (बापू) पर लगाई जाती है और कहा जाता है कि गांधी ही भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के असली गुनहगार हैं।
भीड़ के हाथों दम तोड़ता भारतीय लोकतंत्र
मुल्क में चारों तरफ एक हिंसक हत्यारी भीड़ का शोर बह रहा है। उस शोर का सैलाब लगातार आपकी कल्पनाशीलता को खत्म कर रहा है। आपके भीतर की रचनात्मकता को पीट-पीट कर मार रहा है। वो हत्यारी भीड़ संवैधानिक व्यवस्था के समानांतर खड़ी होकर लोकतंत्र को कुचल रही है। लेकिन ये सनद रहे कि भीड़ ना तो किसी मजहब की होती है और न किसी जाति की। फिर भी ये हत्यारी भीड़ हमेशा किसी धर्म या मज़हब का होने का दावा जरूर करती है। ये भीड़ हमेशा संस्कृति, मजहब, राष्ट्र आदि बचाने के नाम पर हमला करती है।