रावण रथि वीरथि रघुवीरा
आज न तो कोई रावण है न ही कोई राम है और न ही विभीषण। लेकिन युद्ध के कारण और युद्ध में शामिल होने वाले लोग आज के हालात में भी प्रासंगिक हैं। युद्ध में शामिल एक वर्ग है जो हर तरह से शक्ति और साधन से संपन्न है। वह सत्तारूपी रथ पर सवार है। दूसरी तरफ एक वर्ग उन लोगों का है जो हर तरह से साधनहीन है। सत्ता और साधन संपन्न वर्ग सिर्फ अपनी ताकत पर गर्व का प्रदर्शन ही नहीं कर रहा है बल्कि साधनहीन वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वालों पर अपमान भरे शब्दों का तीखा प्रहार भी कर रहा है।
ट्रिपल तलाक पर जेटली बोले- संविधान के हिसाब से हो पर्सनल लॉ
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि ट्रिपल तलाक के प्रचलन को समानता और मर्यादा के साथ जीने के अधिकार के मानकों पर परखा जाना चाहिए। जेटली ने रविवार को अपने फेसबुक वॉल पर लिखा, 'पर्सनल लॉ और ट्रिपल तलाक की व्यवस्था को संविधान के अनुरूप बनना होगा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि समान मानक अन्य पर्सनल लॉ के लिए भी इस्तेमाल किए जाएंगे।'
संविधान के तहत राजनीतिक संवाद ही कश्मीर मसले का हल : PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर की समस्या के स्थायी समाधान के लिए संविधान के दायरे में राजनीतिक संवाद की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया है। सोमवार को जम्मू कश्मीर के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कश्मीर में जारी हिंसा को लेकर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार और पूरा देश जम्मू कश्मीर के साथ है। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को लोगों के बीच जाकर यह संदेश देना चाहिए।
भारतीयों की देशभक्ति पर कोई सवाल नहीं : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि लोगों को धर्म और संप्रदाय के मुद्दों से ऊपर उठना होगा। संविधान निर्माता बी.आर.अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में हो रहे कार्यक्रमों के तहत राज्यसभा में हुई चर्चा का समापन करते हुए मोदी ने कहा, एकता के मंत्र पर ध्यान होना चाहिए। बिखरने के कई बहाने होते हैं, लेकिन हमें जुड़ने के अवसर खोजने चाहिए।
सवालों के घेरे में 66 साल का भारतीय गणतंत्र
गणतंत्र सिर्फ राजनीतिक ढांचा नहीं होता। गणतंत्र एक प्रक्रिया है जिसका आधार कानून की व्यवस्था है। और जब किसी गणतंत्र में कानून की व्यवस्था लुप्त हो जाए या लोगों के अधिकारों पर राजनीतिक नियंत्रण थोपा जाए तो उसके गणतंत्र कहलाने पर सवालिया निशान लग जाता है।
राज्यपालों को हटाने को लेकर गरमाई सियासत
केंद्र सरकार ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में नियुक्त आधा दर्जन से अधिक राज्यों के राज्यपालों को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा है, लेकिन सूत्रों की मानें तो इन राज्यपालों ने केंद्र के निर्देशों का पालन करने से इंकार कर दिया है। अब केंद्र अगर इन राज्यपालों को बर्खास्त करती है तो एक तो संविधान का उल्लंघन होगा और दूसरा मोदी सरकार पर यह आरोप भी लगेगा कि एनडीए सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। जबकि मोदी कहते हैं कि सरकार चलाने में सबका साथ चाहिए।
जानिए अनुच्छेद 370 की गुत्थी
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक 'अस्थायी प्रबंध' के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्तता वाला राज्य का दर्जा देता है। अनुच्छेद 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।