राजपथ को जनपथ से जोड़ती हैं ‘कभी फकीर! कभी चौकीदार’ की रचनाएं
महेश राजपूत का आलोच्य व्यंग्य संग्रह ‘कभी फकीर! कभी चौकीदार!’ एक डिजिटल पुस्तक है। महेश राजपूत पेशे से पत्रकार हैं, हर खबर पर उनकी नजर रहती है। उन्होंने रोजाना के घटनाक्रम को ही अपनी रचना का विषय बनाया है। आज हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि सत्ताधारी दल उसके नेता को लेकर सवाल पूछना, मंशा पर सवाल उठाना देशद्रोह की श्रेणी में डाल दिया गया है।
भारत माता का अजब-गजब इंटरव्यू
स्टेशन पर पहुंचा ही था कि हाथ में कटोरा लिए अपने बच्चों को दुआएं देती भारत माता के दर्शन हो गए। भारत माता को नम्रता पूर्वक नमस्कार कर इंटरव्यू की गुहार लगाई तो वो तुरंत तैयार हो गईं। मैंने पूछा, तुम्हारे दत्तक पुत्र तुम्हारी जय जयकार करते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? तो भारत माता ने कहा- बेटा, पांच साल पहले तो बड़ा अच्छा लगता था लेकिन अब बहुत बुरा लगता है। अब तो ऐसा लगता है जैसे कोई ताना सा मार रहा हो।