सुप्रीम फैसला ; विवाहेत्तर संबंध यानी 'पति, पत्नी और वो' का रिश्ता अब अपराध नहीं
पति, पत्नी और 'वो' का रिश्ता अब अपराध नहीं माना जाएगा। देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में विवाहेत्तर संबंध को अपराध बताने वाले प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया।
CJI बोले- आलोचना आसान पर संस्थान को मजबूत करना मुश्किल
भारत के मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा ने न्याय व्यवस्था को लेकर न्यायपालिका के भीतर और बाहर लगातार उठ रहे सवालों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि निंदा करना बहुत आसान है, लेकिन 'व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और शिकायतों' को अलग रखकर एक संस्थान को मजबूत करना मुश्किल है।
सीजेआई महाभियोग मामला : हमें ये मंजूर नहीं... हम याचिका वापस लेते हैं- सिब्बल
कांग्रेस मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग रद्द करने वाले उप-राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली है। इसके साथ ही कुछ सवाल भी दागे हैं। ये सवाल सीजीआई की भूमिका और संविधान पीठ को केस भेजने को लेकर है। 23 अप्रैल को उपराष्ट्रपति ने विपक्ष के सात दलों के सांसदों के हस्ताक्षर वाले नोटिस को खारिज कर दिया था।
जस्टिस गोगोई-जस्टिस लोकुर ने CJI से 'फुल कोर्ट' बुलाने की रखी मांग
CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस खारिज होने के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े मसले कम होते नहीं दिख रहें हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के ही दो जजों ने उन्हें चिट्ठी लिखकर फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की मांग की है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने CJI दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है।
उपराष्ट्रपति ने CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को किया खारिज
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कानूनविदों से परामर्श के बाद विपक्ष के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें उसने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने को कहा था। नायडू ने कहा है कि विपक्ष की बात में दम नहीं है।
न्यायपालिका पर चेलमेश्वर की बेबाक राय, बार काउंसिल ने बुलाई बैठक
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस चेलमेश्वर ने एक बार फिर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी चिन्ता का जिक्र खत के जरिए चीफ जस्टिस से किया है। अब इस मुद्दे पर वकीलों की ओर से गंभीर चिंता जतायी गयी है। दरअसल, जस्टिस चेलेमेश्वर ने 21 मार्च को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा को 6 पन्नों का पत्र लिखा और न्यायपालिका में सरकार के कथित दखल पर नाराजगी जताई।