कश्मीर में यूरोपीयन संघ के सांसदों को सैर-सपाटा की इजाजत देना, लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं देना, क्या यह मोदी सरकार का अपना अनोखा राष्ट्रवाद नहीं है? सरकार शायद यह भूल गई कि लोकतंत्र में ऐसे बनावटी दौरे नहीं होते हैं। बड़ा सवाल यह कि आखिर कश्मीर में ऐसे हालात क्यों पैदा किए गए कि आपको विदेशी सांसदों के नजरिये का सहारा लेना पड़ा। भारत सरकार का यह कदम भारत और भारतीय लोकतंत्र की खराब तस्वीर को पेश करता है। सरकार को इससे बचना चाहिए।