पनामा गेट : शरीफ को फिलहाल राहत, अयोग्य ठहराने के सबूत नहीं
इस्लामाबाद : पनामा गेट मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली। कोर्ट ने कहा कि शरीफ को पद से हटाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। लेकिन, कोर्ट ने 3-2 के विभाजित मत से पनामा पेपर मामले में शरीफ की संलिप्तता की जांच के लिए एक संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) गठित करने का आदेश भी दिया।
पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा तथा न्यायमूर्ति गुलजार अहमद ने शरीफ के खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए, जबकि पीठ के अन्य तीन न्यायाधीशों ने ताजा जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के गठन का पक्ष लिया। कुल 540 पन्नों के फैसले को पढ़ते हुए न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने पूछा कि सबसे पहले तो यह है कि शरीफ परिवार की संपत्तियों को पाकिस्तान से जेद्दा कैसे स्थानांतरित किया गया। फैसले के मुताबिक, इस बात की जांच करने की जरूरत है कि पैसे आखिर पाकिस्तान से कतर कैसे स्थानांतरित हुए।
शरीफ को जांच दल के समक्ष पेश होने और दल को 60 दिनों के भीतर मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है। जेआईटी में सैन्य व अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी होंगे। न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने कहा कि फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी और नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो मामले की जांच करने में नाकाम रहे हैं, लेकिन फिर भी वे जेआईटी का हिस्सा होंगे। शरीफ को जांच दल के समक्ष पेश होना पड़ेगा।
पिछले साल पनामा पेपर्स के प्रकाशन के बाद यह मामला प्रकाश में आया था, जिसमें दुनिया के कई रईसों तथा राजनीतिज्ञों के विदेशों में संपत्तियों का खुलासा किया गया है। मामले में शरीफ के चार बच्चों में से तीन, उनकी बेटी तथा उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी मरियम तथा बेटे हसन तथा हुसैन के नाम हैं।
मामला शरीफ परिवार द्वारा विदेशी कंपनियों के माध्यम से लंदन में संपत्ति खरीदने का है। उनकी पार्टी ने कहा है कि संपत्तियां पाकिस्तान तथा खाड़ी देश में वैध तरीके से खरीदी गईं। फैसले में कहा गया है, इसकी जांच करने की जरूरत है कि रकम का स्थानांतरण आखिर कतर कैसे हुआ। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद सत्ताधारी मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने जश्न की तस्वीरें तथा नेताओं के बयान ट्विटर पर पोस्ट किए वहीं विपक्षी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के खेमे में खामोशी पसरी रही। बाद में अपने आधिकारिक अकाउंट पर पीटीआई ने फैसले को पार्टी के अनुकूल बताया।
प्रधानमंत्री की बेटी मरियम नवाज ने फैसले का जश्न मनाते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके परिवार तथा पीएमएल-एन के नेताओं की तस्वीरें पोस्ट कीं। फैसले के बाद रेल मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने संवाददाताओं से कहा, इमरान खान (पीटीआई नेता), सिराजुल हक (एक अन्य याचिकाकर्ता) सहित सभी पक्षों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, हम जेआईटी को सहयोग देंगे और न्यायालय के फैसले का सम्मान करेंगे।
शरीफ की पार्टी के नेता अहसान इकबाल ने कहा, विभाजित फैसला दर्शाता है कि प्रधानमंत्री का विरोध करने वाले लोग खासकर पीटीआई अल्पमत में हैं। फैसले से पहले इस्लामाबाद में तनाव चरम पर था, जिसे लेकर न्यायालय के चारों ओर लगभग 1,500 पुलिस कमांडो तथा दंगा नियंत्रण बलों को तैनात किया गया था। ऐतिहासिक फैसला, मामले की सुनवाई के 57 दिनों बाद सुनाया गया।
पांच न्यायाधीशों की सदस्यता वाली पीठ ने शरीफ और उनके परिवार पर कर मामले में पनाह देने वाले देशों में कंपनियां खड़ी करने के आरोपों से जुड़े विभिन्न तर्क सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने कथित धन शोधन मामले में शरीफ के परिवार के खिलाफ याचिका दायर की है।
खान का आरोप है कि शरीफ ने पांच अप्रैल के अपने संबोधन में और पिछले साल 16 मई को नेशनल असेंबली में यह कहकर देश को धोखा दिया कि उन्होंने और उनके परिवार ने 1990 के दशक में लंदन में संपत्ति खरीदने के लिए धनशोधन नहीं किया था। डॉन न्यूज के मुताबिक, अगले साल पाकिस्तान में होने वाले चुनाव को देखते हुए शरीफ और उनकी पीएमएल-एन पार्टी के लिए यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ पीएमएल-एन खेमा न्यायालय के फैसले को लेकर चिंतित था और पार्टी के दिग्गजों ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय के संभावित फैसले को लेकर चर्चा की थी। (एजेंसियां)