पाकिस्तान में बनेगी आर्मी की पसंद वाली सरकार! शुरूआती रुझानों में इमरान की पार्टी PTI आगे
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में वहां की सेना का दखल कोई नई बात नहीं है। वहां की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि वजीर-ए-आजम वही बनता है जो आम पाकिस्तानी नहीं बल्कि आर्मी की पसंद होता है। इस बार बारी इमरान खान की है। जिनकी पार्टी शुरुआती रूझानों में अपने विरोधियों से काफी आगे है। पूर्व क्रिकेटर का इस बार सिक्का चल गया है। उनके सामने बिलावल भुट्टों से लेकर शहबाज शरीफ तक टिक नहीं पाए हैं। यहां बुधवार को आम चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। इमरान खान इस्लामाबाद से जीत हासिल कर चुके हैं। इस सबके बीच विभिन्न विरोधी दलों ने काउंटिंग को लेकर संदेह जताया है।
मतदान खत्म होने के तुरंत बाद ही पूरे देश में वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। देर रात तक पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) रुझानों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि, अभी तक पाकिस्तान की हंग असेंबली बनती हुई दिख रही है। कुछ सीटों पर वोटों की काउंटिंग जारी है। कुल 272 सीटों में से बहुमत के लिए 137 सीटों की जरूरत है। PML(N) के शहबाज शरीफ, PPP के बिलावल भुट्टो, MMA के फजल उर रहमान, जमात ए इस्लामी के सिराज उल हक अपनी-अपनी सीट पर चुनाव हार गए हैं।
ऐसे में पाकिस्तान में वही नतीजे सामने आ रहे हैं, जो वहां की सेना और आईएसआई चाहती थी। आरोप के मुताबिक पाकिस्तान सेना ने पूरा जोर इमरान को जीताने में लगा दिया था। हालांकि सेना यह भी नहीं चाहती थी कि इमरान को बड़ी जीत हासिल हो, क्योंकि तब लगाम सेना के हाथ में रहती। ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। इमरान जीत के करीब तो हैं, लेकिन वे सामान्य बहुमत या बहुमत से एक दो सीट कम हासिल करते दिखाई दे रहे हैं।
भारत का तहरीक ए इंसाफ के साथ सामना नया है। विशेषज्ञ मान रहें हैं कि पूर्ववर्तियों के मुकाबले इमरान से डील थोड़ी मुश्किल होगी। नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पिपल्स पार्टी दोनों की नेतृत्व वाली सरकार के साथ भारत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश कर चुका है, लेकिन जिस तरह इमरान खान ने चुनाव प्रचार में भारत के खिलाफ जहर उगला है और सेना का परोक्ष साथ भी उन्हें मिला है इससे जाहिर है कि इमरान के प्रधानमंत्री बनने पर भारत से अच्छे रिश्तों की उम्मीद बेकार होगी। इमरान कई अवसरों पर जेहादियों से वार्ता शुरू करने और कट्टरपंथियों को मुख्य धारा में लाने की पैरवी कर चुके हैं। इस कारण उनके विरोधी उन्हें तालिबान खान तक के नाम से पुकारते हैं।
वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने काउंटिंग में हो रही गड़बड़ी की ओर इशारा किया है। उन्होंने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जिसने जवाब में कहा कि वो अपना काम ठीक से कर रही है। भुट्टों ने मतों की गिनती में हो रही देरी और प्रक्रियात्मक कमी का हवाला दिया तो शरीफ ने इसे जनमत का खुले तौर पर उल्लंघन बताया है। (विभिन्न समाचार माध्यमों से साभार)