डूसू चुनाव: प्रचार खत्म, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की उड़ी धज्जियां
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: 9 सितंबर को होने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के प्रचार का शोर बुधवार यानी 7 सितंबर को थम गया। अंतिम दिन सभी छात्र संगठनों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। एक तरफ जहां एबीवीपी जीत की हैट्रिक बनाने की जुगत में है वहीं एनएसयूआई डूसू पैनल में वापसी को लेकर आश्वस्त दिख रहा है। कैंपस में प्रचार के दौरान लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की खुलेआम धज्जियां भी उड़ती दिखीं। पटाखों के शोर से लेकर, कार्टून कैरेक्टरों के जरिए 49 कॉलेज के करीब 1 लाख 32 हजार छात्र वोटरों को लुभाने की कोशिश साफ दिखी।
प्रचार के साथ ही संगठनों ने पदों पर जीत को लेकर भी आंकलन शुरू कर दिया। डूसू चुनाव में एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच ही मुख्य लड़ाई है। दोनों ही संगठन चारों पदों पर जीत का दावा कर रहे है। ग्राउंड कैम्पेनिंग के खत्म होने के साथ ही पार्टियां सोशल मीडिया के जरिए जोआजमाइश दिखा रहीं हैं।
अंदर-अंदर संगठन पदों पर हार जीत की गणना करने में लगे हैं। वहीं, प्रचार समाप्त होने के बाद छात्र नेताओं का पूरा फोकस सोशल मीडिया पर हो गया है। संगठन सोशल मीडिया के माध्यम से वोट की अपील करने में जुट गए हैं।
चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवार अनोखे तरीके अपना रहे हैं और इन तरीकों के बीच खुलेआम लिंगदोह की सिफारिशों का उल्लघंन हो रहा है। कोई पटाखों की लड़ियों के शोर के बीच वोट मांग रहा है, तो कोई लक्जरी गाड़ियों से छात्रों को आकर्षित कर रहा है। कहीं नारेबाजी का दौर है, तो कहीं चलती कारों से पर्चा उड़ाते कार्यकर्ता कैंपस में प्रचार कर रहे हैं। कोई सर्कस से लंबे विशालकाय करतब दिखाने वाला लाया है, तो कोई अलग-अलग करैक्टर के कार्टून। लिंगदोह की सिफारिशों के मुताबिक डूसू में प्रचार के लिए छात्र के पास करीब 5 हजार रुपये का बजट होता है, लेकिन इसकी धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रहीं हैं। एबीवीपी और एनएसयूआई सरीखे छात्र संगठन लाखों खर्च कर रहें हैं और उल्लंघन की जिम्मेवारी एक दूसरे पर थोप रहें हैं।
वहीं मुख्य प्रतिद्वंदी एबीवीपी और एनएसयूआई अपनी अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त हैं। एबीवीपी के अध्यक्ष पद उम्मीदवार अमित तंवर को अपनी पार्टी के काम पर भरोसा है तो वहीं एनएसयूआई के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार अर्जुन छपराना को एबीवीपी की नाकामियों पर भरोसा है। उन्हें यकीन है एबीवीपी की नाकामियां ही एनएसयूआई को जिताएगी। हालांकि आइसा भी डूसू जीतने की जोर आजमाइश कर रही है। लिहाजा क्लास टू क्लास कैंपन के जरिए आइसा के उम्मीदवार प्रचार करते दिखे। आइसा की ज्वाइंट सेक्रेटरी कैंडिडेट अंकिता निर्मल के मुताबिक पिछले चुनाव में भी आइसा का वोट शेयर बढ़ा था और इस बार भी आइसा बराबरी की टक्कर देगी।
इस बीच एनजीटी आदेशों और लिंगदोह की सिफारिशों के उल्लंघन के मामले में डूसू इलेक्शन कमेटी ने छात्रों को नोटिस भी दिया है,लेकिन एबीवीपी के उम्मीदवारों के मुताबिक ये विरोधी दलों की साजिश है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले ज्यादा गंभीर और सख्त डूसू इलेक्शन कमेटी नियमों की अनदेखी करने वाले उम्मीदवारों का नामांकन तक रद्द हो सकता है। चीफ इलेक्शन ऑफिसर डी. एस. रावत डूसू चुनाव के मुताबिक उम्मीदवारों को दिए गए नोटिस के जवाब में ज्यादातर छात्रों ने विरोधी दलों का हवाला दिया है। लिहाजा सबूतों के आधार पर शिकायत प्रकोष्ठ विभाग को इलेक्शन कमेटी ने मामला सौंप दिया है।
खास बात ये कि पहली बार दिल्ली यूनिवर्सिटी के चुनाव में छात्र नोटा का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस साल 51 कॉलेज में मतदान होगा। गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश के मुताबिक डूसू चुनाव इस बार पेपर फ्री होने चाहिए थे। यानी प्रचार के दौरान किसी भी तरह के पेपर और पोस्टर-बैनर्स का दुरूपयोग ना करने की हिदायत दी गई थी, जिसका खुलेआम उल्लंघन होता दिखा।