JNU के छात्र नेता जतिन ने ABVP से खिन्न होकर नाता तोड़ा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : जेएनयू की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इकाई के उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जतिन का कहना है कि वह दलितों के खिलाफ हमलों पर एबीवीपी के रवैये से 'उकता' चुके हैं। जतिन गोराया भाजपा की छात्र शाखा के ऐसे चौथे सदस्य हैं जिन्होंने इस साल कुछ मतभेदों की वजह से पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
इससे पहले इसी साल 9 फरवरी को जेएनयू परिसर में कथित देशविरोधी नारेबाजीकी घटना के बाद तत्कालीन एबीवीपी जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल और दो अन्य ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।
अपने इस्तीफे से संबंधित जानकारी जतिन ने अपने फेसबुक वॉल पर भी साझा की है। उन्होंने इस पोस्ट में लिखा है, 'मैं एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं और खुद को एक जातिवाद, हास्यास्पद और पुरूष प्रधान संगठन से अलग करता हूं। एबीवीपी का आचरण उसके जोड़तोड़ वाले फासीवादी तथा रूढ़िवादी चेहरे को उजागर करता है।'
जतिन ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा है कि 'रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या और 9 फरवरी को हुई जेएनयू घटना से लेकर उना में दलितों की गरिमा और सामाजिक न्याय पर सवाल के संबंध में बढ़ती घटनाओं पर एबीवीपी ने विपरीत रूख लिया है। यह बिल्कुल भी चौंकाने वाली बात नहीं है कि एबीवीपी ने फर्जी राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद विरोधी बयानबाजी और अपनी फूट को उजागर कर और हम पर राष्ट्रवाद की अपनी घृणित विचारधारा थोपकर स्वयं की संस्था को कलंकित किया है।’
अपनी फेसबुक पोस्ट के आखिर में गोराया ने लिखा है, 'मेरा यह इस्तीफा रोहित वेमुला के सिद्धांतों को एक श्रद्धांजलि है। जिस जज्बे के साथ रोहित ने भगवाधारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उसी भावना के साथ हम अपनी आखिरी सांस तक इन ताकतों से लड़ते रहेंगे और हर बार इनके मंसूबों पर पानी फेरते रहेंगे।' मालूम हो कि इसी साल मार्च में मनुस्मृति में दलित एवं महिला विरोधी सिद्धांतों के विरूद्ध जेएनयू परिसर में प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों ने इस प्राचीन ग्रंथ के पन्ने जलाए थे, जिसमें गोराया भी शामिल थे।