छात्र नजीब के लापता होने के बाद जेएनयू में हंगामा, गृहमंत्री ने कमिश्नर से की बात
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय देर शाम से काफी हंगामा मचा है। इसकी वजह छात्र नजीब अहमद का तीन दिन से गायब होना बताया जा रहा है। नजीब अहमद के लापता होने को लेकर छात्रों ने बुधवार शाम से हंगामा शुरू कर दिया। JNU के प्रशासनिक भवन के बाहर करीब 200 से 300 छात्रों ने इस मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन किया। हंगामे के चलते वीसी और प्रॉक्टर प्रशासनिक भवन के अंदर फंसे हुए हैं। वहीं, बताया जा रहा है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पूरे मामले पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर अलोक कुमार वर्मा को तलब किया है। मामला एबीवीपी और वाममोर्चे के बीच झगड़े को लेकर है। जिसमें छात्रों का आरोप है कि विवि प्रशासन एबीवीपी को बचाने का प्रयास कर रहा है।
इसी मुद्दे पर दोपहर शाम पांच बजे के बाद से जेएनयू के छात्रों ने यूनिवर्सिटी के अंदर और बाहर भी प्रदर्शन किया था, जिसमें छात्रों ने आरोप लगाया था कि नजीब को ढूंढने में जेएनयू प्रशासन और पुलिस लापरवाही बरत रही है। नारेबाजी करने और प्रदर्शन करने के बाद छात्रों ने प्रशासनिक भवन के द्वार को अवरूद्ध कर दिया। सुरक्षा बलों की तरफ से हस्तक्षेप के बाद द्वार खोले गए, लेकिन शाम में ज्यादातर कर्मचारियों के जाने के बाद छात्रों ने एकबार फिर नाकेबंदी कर दी।
वहीं, दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर जेएनयू की तरफ से विश्वविद्यालय के अंदर जाने को लेकर कोई अनुरोध नहीं मिला है। इस मसले पर प्रशासनिक अधिकारी और छात्रों के बीच बातचीत भी चल रही हैं।
इससे पहले जेएनयू प्रशासन ने छात्र के लापता होने से संबंधित मामले में 12 छात्रों को प्रॉक्टर स्तरीय जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने को कहा था।
स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब अहमद शनिवार से कथित तौर पर लापता है। उसके लापता होने से एक रात पहले कैंपस में उसका झगड़ा हुआ था। छात्र के अभिभावकों से मिली शिकायत के बाद वसंत कुंज उत्तर थाना में कल एक व्यक्ति के अपहरण और गलत तरीके से कैद कर रखने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई।
एक वक्तव्य में कहा गया, 'जेएनयू प्रशासन ने प्रॉक्टर स्तरीय जांच समिति के समक्ष गवाही के लिए 12 छात्रों को तलब किया था, जिनके नाम माही-मांडवी हॉस्टल में 14 अक्तूबर को हुई हिंसा की घटना से जुड़े हैं'। वक्तव्य में कहा गया, 'समिति ने यह भी कहा है कि जो भी गवाही देना चाहता है वो आगे आएं और जांच में मदद करें। प्रशासनिक ब्लॉक को जाम करने के लिए छात्रों की निंदा करते हुए जेएनयू के शिक्षकों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि वो अहमद का पता लगाने के लिए पुलिस पर अधिक दबाव डालें और अहमद से अपील की कि वह प्रताड़ित किए जाने के डर के बिना वापस लौटे'।
विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार और अन्य शीर्ष अधिकारियों ने 15 अक्तूबर की दोपहर को अहमद के गुम होने के बाद पहली बार मीडिया को बताया कि लड़के का पता लगाने के लिए सारे कदम उठाए गए हैं और वह परिवार के संपर्क में भी हैं। कुमार ने कहा, 'लेकिन हम उसकी सुरक्षा के बारे में भी वाकई चिंतित हैं और पुलिस के साथ नियमित संपर्क में हैं और जो भी जरूरत है वो सूचना प्रदान कर रहे हैं। हमने नजीब अहमद से भी अपील की है कि अगर वह इसे पढ़ रहा है तो विश्वविद्यालय लौट आए। हम उसे सभी तरह की मदद का आश्वासन देते हैं'। परिसर से अहमद के लापता होने के प्रकरण में अब तक कोई सुराग नहीं मिलने के तथ्य को स्वीकार करते हुए कुमार ने कहा, 'अब तक कोई भी नहीं जानता है कि उसे क्या हुआ है'।
जेएनयू के रेक्टर चिंतामणि महापात्र ने कहा, 'परिवार ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी और जब हमने पुलिस से संपर्क किया तो हमसे कहा गया कि परिवार ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई है'।
जेएनयूएसयू के अध्यक्ष मोहित पांडेय ने कहा, 'नजीब अहमद के मामले से असंवेदनशील तरीके से निपटने की वजह से नाकेबंदी की गई है। एबीवीपी द्वारा नजीब अहमद के खिलाफ हिंसा जिसकी वजह से वह पांच दिन पहले परिसर से लापता हुआ और जेएनयू प्रशासन के प्राथमिकी दर्ज कराने से इंकार कर अपराधियों को बचाने का प्रयास करने की वजह से नाकेबंदी की गई है'। वाम समर्थित जेएनयूएसयू और एबीवीपी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।