अब जेएनयू में हाजिरी की अनिवार्यता को लेकर विवाद
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय फिर सुर्खियों में है। इस बार विवाद छात्रों की हाजिरी को लेकर है और मुद्दा हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। प्रदर्शन खूब हो रहा है और कहा जा रहा है कि दरअसल उपस्थिति के बहाने यह विवि के स्वच्छंद लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखने वाले विचारों को खत्म करने की राजनीति है। वीसी एम जगदीश कुमार ने बीए से पीएचडी तक के कोर्सेस में दाखिल छात्रों के लिए 75 फीसदी जरूरी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर फरमान जारी किया था। बवाल इसी को लेकर है।
छात्र संगठन पिछले पांच दिनों से कैम्पस में प्रदर्शनरत हैं। उन्होंने इस फरमान को वापिस लेने की मांग करते हुए वीसी और कुछ शिक्षकों का घेराव भी किया था। वीसी ने इसे बंधक बनाने की कोशिश करार दिया था तो छात्रों ने इसे वीसी से मिलने का प्रयास बताया था। छात्रों का कहना था कि वो प्रशासनिक भवन के बाहर महज वीसी से मिलने की जुगत में जुटे थे। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है और कोर्ट ने विवि प्रशासन को जरूरत पड़ने पर पुलिस बल प्रयोग करने की इजाजत भी दे दी है। छात्रों ने छात्र संघ पदाधिकारियों व उनके समर्थकों द्वारा 75 प्रतिशत हाजिरी का विरोध करते हुए प्रशासनिक भवन में अधिकारियों को बंधक बना लिया। इस मुद्दे पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम निर्देश दिए हैं। इसके तहत वाइस चांसलर, प्रो वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार और एडमिन ब्लॉक में ऑफिस में जेएनयू छात्रों-नेताओं का प्रवेश सोमवार तक बैन रहेगा।
बृहस्पतिवार देर रात तक जेएनयू के दो प्रोफेसर व कुछ अन्य कर्मचारी प्रशासनिक भवन में बंद थे, दोनों प्रोफेसर वर्तमान में विवि के प्रशासनिक पदों पर हैं। सुबह से ही छात्र हड़ताल के लिए प्रशासनिक भवन के बाहर जुटने लगे थे और चाइनीज भाषा के छात्रों ने विरोध स्वरूप कक्षा के बाहर ही परीक्षा दी। कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार ने ट्वीट कर छात्रों द्वारा की गई अभद्रता की जानकारी दी और हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासनिक भवन के 100 मीटर के अंदर प्रदर्शन करने की मनाही है। कुलपति ने पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
जेएनयू के रजिस्ट्रार का कहना है कि छात्र संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासनिक भवन को सुबह 11 बजे से ही पूरी तरह से घेर रखा है और किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। दिन में डेढ़ बजे जब दोनों रेक्टर लंच करने के लिए बाहर निकले तो आक्रोशित छात्रों ने उन्हें वापस अंदर भेज दिया। इसके बाद जब वह क्लास लेने के लिए बाहर निकल रहे थे, तब भी छात्रों ने उन्हें जबरन अंदर भेज दिया।
दिनभर दोनों रेक्टर भूखे-प्यासे अपने कमरों में बंद रहे, जिस कारण रेक्टर 1 की तबीयत भी बिगड़ गई। मुख्य प्रशासनिक भवन के बाहर जमा छात्र जोर-जोर से नारे लगा रहे हैं और ढोल बजा रहे हैं। कामकाज में बाधा उत्पन्न हो रही है। उनका कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने छात्र संघ के पदाधिकारियों को पत्र भेजकर बातचीत के लिए बुलाया, बशर्ते छात्रों की भीड़ प्रशासनिक भवन से वापस लौट जाए।
वहीं, इस बाबत छात्र संघ पदाधिकारियों का कहना है कि हमने किसी अधिकारी को बंधक नहीं बनाया है बल्कि हम उनसे मिलना चाहते हैं। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मिलने के बजाय कुलपति ने उनकी आवाज दबाने के लिए परिसर में पुलिस बुला ली।
छात्रों ने कहा कि पहले तो विद्वत परिषद की अनुमति के बिना अनिवार्य उपस्थिति नियम जबरन छात्रों पर थोप दिया गया और जब छात्र इसका शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे हैं तो उन्हें डराने के लिए पुलिस को बुला लिया गया। छात्रों की मांग मानने के बजाय प्रशासन द्वारा हॉस्टल छीन लेने और छात्रवृत्ति रोकने की धमकी छात्रों को दी जा रही है। छात्र संघ की मांग है कि पुलिस बुलाने के बजाय कुलपति स्वयं छात्रों से आकर मिलें और उनकी समस्याओं को हल करें। छात्रों ने वीसी के इस अटेंडेंस पॉलिसी को बेहद निम्न स्तर का बताया है।
जेएनयूएसयू ने बयान जारी कर कहा- वीसी जो पुलिस बल को बुलाकर छात्रों पर बल प्रयोग कराए वो वीसी नहीं हो सकता। हम उनसे मिलकर कुछ सवाल करना चाहते हैं। मिस्टर जगदीश कुमार किससे डर रहें हैं? हमारे सवालों से, छात्रों से या फिर दोनों से?