'दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाने की केन्द्र की मंशा नहीं'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को एक विस्तृत स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि शेयरों की खरीद-फरोख्त में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाने की मंशा सरकार की नहीं है। दरअसल, इस मामले को लेकर निवेशक काफी संवेदनशील है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्टॉक मार्केट के लाभ पर टैक्स लगाने वाले बयान के बाद बाजार में काफी बेचैनी थी।
शनिवार को पीएम मोदी द्वारा कही गई बात के संदर्भ में जेटली ने कहा कि पीएम के भाषण की मीडिया में जो व्याख्या की गई, वह सही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, 'मीडिया के एक वर्ग ने उस भाषण की गलत व्याख्या की है और यह अर्थ निकालना शुरू किया कि इसमें परोक्ष रूप से स्टॉक मार्केट से मिलने वाले दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाए जाने का संकेत है।'
जेटली ने कहा, 'यह व्याख्या बिलकुल गलत है। प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा कोई बयान नहीं दिया, इसलिए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि किसी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई आधार नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा है और न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है।
वित्त मंत्री पीएम मोदी के रायगढ़ में दिए बयान का जिक्र कर रहे थे। जिसमें पीएम ने फाइनेंशियल मार्केट से लाभ उठाने वालों को राष्ट्र निर्माण में योगदान करने की बात कही थी।
ये कहा था पीएम ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के रायगढ़ में इस बारे में संकेत दिए थे। पीएम ने कहा था, 'जो लोग फाइनैंशल मार्केट्स से फायदा उठाते हैं उन्हें टैक्स देकर राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपना योगदान देना चाहिए। विभिन्न कारणों से, जो लोग मार्केट्स से पैसा कमाते हैं, उनसे मिलनेवाली टैक्स की रकम कम रही है। कुछ हद तक ऐसा गैरकानूनी गतिविधियों और धोखाधड़ी की वजह से हो सकता है। इसे रोकने के लिए, सेबी को बहुत ज्यादा चौकस होना होगा।'
पीएम ने टैक्स ढांचे के नियमों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था- टैक्स में कम योगदान के पीछे हमारे टैक्स नियमों का ढांचा भी एक वजह हो सकता है। कुछ तरह के फाइनैंशल इनकम पर कम या जीरो टैक्स रेट दिया गया है। मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि आप मार्केट के भागीदारों का सरकारी खजाने में सहयोग पर विचार कीजिए। हमें इसे एक निष्पक्ष, प्रभावशाली और पारदर्शी तरीके से बढ़ाने संबंधी तरीकों पर विचार करना चाहिए।'