कलबुर्गी, पंसारे के बाद कट्टरपंथ विरोधी गौरी लंकेश की बेंगलुरू में हत्या
सत्ता विमर्श ब्यूरो
बेंगलुरू: एक और वरिष्ठ पत्रकार की हत्या हो गई। वो भी अपने दिमाग और दिल की बात सुनती थी। बेबाकी और निडरता उनकी पहचान थी। हत्यारों ने घर में घुसकर गौरी लंकेश को गोलियों से भून डाला। उनकी मौत क्यों हुई, किन हालातों में हुई इस पर जांच की बात की जा रही है, लेकिन गौरी को जानने वाले जानते है कि हिंदू कट्टरपंथ का विरोध उनकी हत्या की वजह बना। ऐसा उनकी लेखनी से भी जाहिर होता रहा। अब 55 साल की लंकेश की मौत पर राजनीति भी शुरू हो गई है। वैसे खबरिया चैनलों की मानें तो किसी खबर को लेकर गौरी का भाजपा के नेताओं से विवाद था।
कैसे हुई हत्या?
बताया जा रहा है कि उनके घर के पास ही कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पटाखे जैसी आवाज सुनकर ठीक 8 बजे जब वो लोग बाहर आए तो देखा लंकेश अपने बरामदे से कुछ दूर खून में लथपथ पड़ीं थी। कर्नाटक के पुलिस प्रमुख आरके दत्ता ने बताया कि लंकेश कार से उतरकर घर का गेट खोल रही थी, इसी दौरान बाइक सवार लोगों ने उनको गोली मार दी। बंगलुरु के राजराजेश्वरी इलाके में रहने वाली लंकेश को बाइक सवारों ने नजदीक से 4 गोलियां मारी। गौरी लंकेश की हत्या के बाद लोगों में गुस्सा है और कोई इस घटना की कड़ी आलोचना कर रहा है। उनकी पहचान दक्षिणपंथी विचारों की तीव्र आलोचक के रूप में थी। वो पहले भी धमकियों का जिक्र कर चुकी थीं। हालांकि पुलिस के मुताबिक उन्होंने किसी धमकी की बात नहीं कि थी और अगर ऐसा होता तो उनकी सुरक्षा की जाती।
जांच की बात
कर्नाटक के मुख्ममंत्री सिद्धरमैया ने हत्या पर दुख जताते हुए कहा कि दोषियों को पता लगाने के लिए तीन पुलिस टीमें बनाई गई हैं। गौरी की हत्या पर दुख जताते हुए कहा कि हमलावरों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए हैं। दत्ता ने बताया कि हाल की उनकी मुलाकातों में गौरी ने कभी-भी अपनी जान को खतरा होने की बात नहीं कही थी। जब उनसे पूछा गया कि गौरी लंकेश की हत्या कौन कर सकता है, तो उन्होंने कहा कोई भी अनुमान लगाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले जांच हो जाने दीजिए।
कौन थी गौरी लंकेश?
गौरी लंकेश एक पत्रकार-कार्यकर्ता थीं जो व्यवस्था विरोधी, गरीब समर्थक और दलित समर्थक रुख रखती थीं। कन्नड़ पत्रकारिता में कुछ महिला संपादकों में शामिल गौरी प्रखर कार्यकर्ता थीं जो नक्सल समर्थक थीं और वामपंथी विचारों को खुले तौर पर प्रकट करती थीं। वर्ष 1962 में जन्मीं गौरी कन्नड़ पत्रकार और कन्नड़ साप्ताहिक टैबलॉयड 'लंकेश पत्रिका' के संस्थापक पी. लंकेश की बेटी थीं। उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म और थियेटर हस्ती हैं। अपने भाई और पत्रिका के प्रोपराइटर तथा प्रकाशक इंद्रजीत से मतभेद के बाद उन्होंने लंकेश पत्रिका के संपादक पद को छोड़कर 2005 में कन्नड़ टैबलॉयड 'गौरी लंकेश पत्रिका' की शुरुआत की थी।
गौरी प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भी मुखर थीं। उन्होंने द वायर से बातचीत के दौरान कहा था कि वो देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर परेशान हैं। हाल ही में उन्होंने अपने कई ट्विट्स में फेक न्यूज और दुष्प्रचार को लेकर रोष जाहिर किया। उन्होंने अपने एक ट्विट में कहा- मुझे ऐसा लगता है जैसे हममें से कई आपस में ही लड़ रहें हैं। जबकि हमें पता है कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन कौन है।
why do i feel that some of `us' are fighting between ourselves? we all know our ``biggest enemy''. can we all please concentrate on that?
— Gauri Lankesh (@gaurilankesh) September 4, 2017
भाजपा नेताओं का कोर्ट केस
भाजपा सांसद प्रह्लाद जोशी और पार्टी पदाधिकारी उमेश दोषी की ओर से दायर मानहानि मामले में पिछले वर्ष हुबली के मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था, जिन्होंने 23 जनवरी 2008 को उनकी पत्रिका में प्रकाशित एक खबर पर आपत्ति जताई थी। गौरी समाज की मुख्य धारा में लौटने के इच्छुक नक्सलियों के पुनर्वास के लिए काम कर चुकी थीं और राज्य में सिटीजंस इनिशिएटिव फॉर पीस (सीआईपी) की स्थापना करने वालों में शामिल रही थीं।
कलबुर्गी, पनसारे और अब गौरी लंकेश
- 2015 में कर्नाटक के धारवाड़ में इसी तरह के एक अन्य मामले में साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी। दो लोगों पर कलबुर्गी की हत्या करने का आरोप लगा था। महाराष्ट्र में पनसारे मारे गए
- 2015 में ही महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पनसारे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें दक्षिण पंथी संगठनों के दो लोग गिरफ्तार हुए थे।
- 2013 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर को भी गोलियों से छलनी कर दिया गया था। वह अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाते थे। इसलिए वह सनातन संस्था और अन्य दक्षिणपंथियों के निशाने पर थे।
राजनीति शुरू
इस मसले को लेकर जहां संवेदना जाहिर करने के लोग आगे आए हैं वहीं राजनीतिक बयानबाजी का खेल भी शुरू हो गया है। जिम्मेदार कौन और कौन नहीं, इस पर बहस शुरू हो गई है। गौरी लंकेश की हत्या की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़ी निंदा की है। राहुल ने ट्विटर पर लिखा है- सच्चाई की आवाज़ को कभी चुप नहीं कराया जा सकता। गौरी लंकेश हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
The truth will never be silenced. Gauri Lankesh lives on in our hearts. My condolences &love to her family. The culprits have to be punished
— Office of RG (@OfficeOfRG) September 5, 2017
वहीं, लंकेश की हत्या की सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने भी निंदा की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है- बेंगलूरु से गौरी लंकेश की जघन्य हत्या की दुखद खबर मिली। मैं पत्रकारों के खिलाफ हर तरह की हिंसा की निंदा करता हूं।