कावेरी विवाद : मसौदा योजना पेश करने में मोदी सरकार फेल, कर्नाटक चुनाव का बनाया बहाना
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कावेरी नदी जल विवाद मामले में प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के कर्नाटक चुनाव प्रचार में व्यस्त रहने के आधार पर मसौदा योजना पेश करने में विफल रही। वहीं तमिलनाडु ने इसे 'बेशर्मी भरा पक्षपात' बताया।
योजना लागू करने के लिए 10 दिन का समय मांगते हुए महान्यायवादी ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ से कहा, मंत्रिमंडल के समक्ष इस संबंध में मसौदा योजना पेश कर दिया गया है। कर्नाटक चुनाव की वजह से, प्रधानमंत्री और सभी मंत्री अभी कर्नाटक में हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री विदेश (चीन) में थे।
तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नेफाड़े ने अपने कड़े प्रत्युत्तर में कहा, अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है, केंद्र सरकार मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। वे लोग कर्नाटक में अपने चुनावी परिणाम को लेकर चिंतित हैं। कर्नाटक चुनाव 12 मई को है और वे तब तक किसी भी तरह इस पर फैसला लेना नहीं चाहते। अब बहुत हो गया, यह भारतीय संघ का बेशर्मी भरा पक्षपात है। यह सहकारी संघवाद का खात्मा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को अपने फैसले में केंद्र को कावेरी जल विवाद प्राधिकरण की अनुशंसा पर छह हफ्ते के भीतर कावेरी प्रबंधन बोर्ड(सीएमबी) और कावेरी नियामक प्राधिकरण (सीआरए) के गठन के लिए योजना तैयार करने का आदेश दिया था, जिसका कर्नाटक ने कड़ाई से विरोध किया था। छह माह की समय सीमा समाप्त होने के बाद केंद्र ने कर्नाटक में चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने तक योजना को दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। तमिलनाडु ने केंद्र सरकार के खिलाफ समय सीमा के अंदर योजना पेश नहीं करने के लिए अवमानना याचिका दाखिल की थी।
अदालत ने गुरुवार की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि राज्य शासन महीने के अंत तक चार टीएमसी पानी में से कितना पानी छोड़ेगा। न्यायालय ने साथ ही केंद्र से जवाब मांगा कि इस संबंध में निर्देश देने के बाद अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, जिसके अंतर्गत कावेरी जल का बंटवारा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी में किया जाना था। सुनवाई के दौरान, अदालत ने कर्नाटक को सोमवार तक 4 टीएमसी पानी छोड़ने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि अगर केंद्र ने इस योजना को तैयार नहीं भी किया है, तो भी कर्नाटक कावेरी जल विवाद प्राधिकरण के अंतर्गत तमिलनाडु को मासिक आधार पर पानी देने के लिए बाध्य है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को मुकर्रर का है।