राफेल सौदे में अगर घोटाला नहीं हुआ है तो JPC से क्यों डर रही है मोदी सरकार : राहुल गांधी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राफेल सोदे पर एनडीए सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि नया सौदा केवल अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये देने के लिए किया गया। कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अधिकारियों के एक नोट का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि नया राफेल सौदा कीमत और तेजी से डिलीवरी को लेकर किया गया, लेकिन इस दावे की पोल खुल चुकी है।
राहुल गांधी ने कहा कि राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट में बिचौलियों के डिसेंट नोट की चर्चा नहीं की गई है और इसलिए वह नहीं समझते कि इस रिपोर्ट को ज्यादा तवज्जो दी जाए। संसद के पटल पर सीएजी की रिपोर्ट पेश होने के बाद राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया सामने आई है। सौदे की जेपीसी से जांच कराने की अपनी मांग को दोहराते हुए राहुल ने कहा, आपने कहा था कि कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर आपको जेपीसी का आदेश देने से डर क्यों लग रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सीएजी रिपोर्ट को लेकर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, सरकार ने नई डील के लिए तर्क दिए थे कि वायुसेना को जल्दी हवाई जहाज देना है और सौदा सस्ते में मिल रहा है। लेकिन सौदे में साफ लिखा है कि राफेल विमान मिलने में 10 साल का वक्त लगेगा। यदि आप सीएजी रिपोर्ट पर नज़र डालें तो रिपोर्ट में ये माना गया है कि 2007 के सौदे में संप्रभु गारंटी, बैंक गारंटी और प्रदर्शन गारंटी शामिल थी। जबकि नये सौदे में इनमें से कुछ भी शामिल नहीं है।
राहुल गांधी ने कहा कि 36 राफेल विमानों के लिये भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलाव 126 विमानों के जैसे ही हैं। नये सौदे में प्रति विमान 25 मिलियन यूरो ज्यादा भुगतान किया गया है और इसी जगह पर भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा, अगर सीएजी रिपोर्ट को ही देखा जाय तो निर्मला सीतारमण ने संसद में झूठ बोला है। उन्होंने कहा था कि राफेल डील 9-20 फीसदी सस्ती हुई है लेकिन सीएजी 2.86 फीसदी सस्ती बता रहा है। सीएजी रिपोर्ट ने कीमत पर समझौता टीम की असहमति को नहीं जोड़ा है। समझौता टीम ने कहा है कि नई डील पहले से 55 फीसदी महंगी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, पीएम मोदी घबराए हुए हैं, राफेल का मामला तीन बिंदुओं पर निष्कर्ष तक पहुंचेगा। वो तीन मुद्दे हैं- प्रक्रिया, भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून।
इस दौरान मीडिया के एक सवाल को जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि देश के किसी भी कोने में चले जाइए और एक बार बोल कर देखिए चौकीदार। आपको चारों तरफ से यही आवाज़ आएगी ‘चोर है’। यह राफेल सौदे की सच्चाई है। विपक्ष का नेता होने के नाते मेरा काम सरकार की कमियों को उजागर करने का है और यही काम मैं कर रहा हूं। राहुल गांधी ने दोहराया कि प्रधानमंत्री एक बार उनसे आमने-सामने बैठकर इस मुद्दे पर बहस कर लें। वे सामने बैठें, अपने तर्क रखें और हम अपने तर्क रखेंगे। इसके बाद देश को फैसला करने दें।
इस सवाल पर कि असहमति पत्र देने वाले अपने बयानों से मुकर रहे हैं और उन्होंने सिर्फ आपत्ति की थी न कि असहमति, इस पर राहुल गांधी ने कहा कि, असहमति पत्र लिखने वाले अफसर जानते थे कि एक अपराध हो रहा है और वे इस अपराध के भागीदार नहीं बनना चाहते थे। लेकिन हो सकता है अब किसी किस्म का दबाव हो। एक और सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि मैं आज विपक्ष का नेता हूं, मेरी जिम्मेदारी है कि इस सरकार की कमियां, गलत नीतियों को लोगों के सामने रखूं, उनका विरोध करूं। मैं किसानों का मुद्दा उठाता हूं, युवाओं का मुद्दा उठाता हूं।
कांग्रेस का यह हमला राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री पर 'देशद्रोह' और राफेल विमान अनुबंध में अनिल अंबानी के 'बिचौलिए' के रूप में काम करके सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाने के एक दिन बाद सामने आया है। राहुल ने प्रधानमंत्री पर यह आरोप एक ई-मेल का हवाला देकर लगाया है, जिसमें दावा किया गया है कि अनिल अंबानी को भारत तथा फ्रांस के बीच सौदा होने से पहले से ही सौदे की जानकारी थी। भाजपा ने आरोप खारिज करते हुए कहा कि एक एयरबस कार्यकारी का यह कथित ईमेल किसी हेलीकॉप्टर सौदे के बारे में है ना कि राफेल के बारे में।