RSS चीफ का विवादित बयान; सेना 6 महीने में जितने सैनिक तैयार करेगी उतना हम 3 दिन में कर देंगे
सत्ता विमर्श ब्यूरो
पटना : राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो उनका संगठन देश के दुश्मनों से सीमा पर भी लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने दावा किया कि जितना सैनिक सेना 6 महीने में तैयार करेगी, उतना हम तीन दिनों में तैयार कर देंगे।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्वयंसेवकों के बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ कोई सैन्य संगठन नहीं है, लेकिन हमारे पास सेना जैसा अनुशासन है। यदि जरूरत पड़ी और यदि देश का संविधान इजाजत देता है तो आएसएस सीमा पर शत्रुओं के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। भागवत ने कहा कि देश की खातिर लड़ाई के लिए आरएसएस कुछ दिनों के भीतर सेना बनाने की क्षमता रखती है। भागवत ने इस बात का भी दावा किया कि भारतीय सेना जितना सैनिक छह महीने में तैयार करेगी उतना हम तीन दिनों में तैयार कर देंगे।
भारत-चीन युद्ध की चर्चा करते हुए भागवत ने कहा कि जब चीन से हमारा युद्ध हुआ था तो सिक्किम सीमा क्षेत्र तेजपुर की पुलिस चीन के डर से भाग खड़ी हुई। उस समय संघ के स्वयंसेवक सीमा पर मिलिट्री फोर्स के आने तक डटे रहे व लोगों का ढांढ़स बढ़ाया। हमारे स्वयंसेवक पूरे देश को अपना मानते हुए खुद के लिए रत्ती भर भी इच्छा नहीं रखते। ऐसा व्यक्ति संस्कारों के साथ देश के लिए जीता है। ये देश के लिए अपना जीवन बलिदान भी कर सकते हैं। यह आदत होती है, जो धीरे-धीरे बनती है।
भागवत ने स्वयंसेवकों को सोच-समझ कर काम करने की भी सीख दी। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों तक एक काम करने से आदत बन जाती है, लेकिन कोई भी काम बिना विचारे नहीं करना चाहिए। आज लोग स्वयंसेवक जैसा बनना चाहते हैं। इसका कारण यह है कि हम लोगों ने समाज के सामने आदर्श पेश किया है। हमें ऐसे ही अनुशासन से काम करना है। घर से लेकर बाहर तक एक उदाहरण प्रस्तुत करना जरूरी है। समाज की सेवा करने में हम लोगों को सक्रिय होना पड़ेगा। यह सजगता नियमित रूप से शाखा की साधना से ही आयेगी। भागवत ने कहा कि आरएसएस का कार्य देश को सुखी-समृद्ध बनाना है। जिस दिन यह लक्ष्य पूरा हो जायेगा, यह संगठन समाप्त हो जाएगा।
सरसंघचालक ने कहा, स्वयंसेवक आजीविका से लेकर सामाजिक जीवन में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करें। इससे पहचान बनेगी, एक आदर्श बनेगा। इसके लिए उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक दिन शाखा में जाना चाहिए। यह नहीं हो पाये तो सप्ताह या महीने में एक बार जरूर जाएं। अगर इतना भी वक्त नहीं मिले, तो बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर में तो जरूर भागीदारी होनी चाहिए। अच्छी चीजों को हमें अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान भागवत ने कई उदाहरणों से स्वंयसेवकों को अनुशासन, ईमानदारी व चरित्र को मजबूत बनाने की सीख दी। शिविर में करीब 1500 स्वयंसेवक शामिल हुए थे।