चुनाव आयुक्त की नसीहत पर बिफरे भाजपा के मुख्तार, बोले- हम चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : गुजरात की तीन राज्य सभा सीटों के लिए हुए चुनाव में दो कांग्रेसी विधायकों के वोट रद्द करने के लिए अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करने के करीब 10 दिन बाद चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में राजनीति में आ रही गिरावट के सामान्य बात होते जाने पर राजनीतिक दलों को नसीहत दी। रावत ने कहा, लोकतंत्र तब फलता-फूलता है जब चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और मुक्त हों। लेकिन ऐसा लगता है कि छिन्द्रान्वेषी आम आदमी सबसे ज्यादा जोर इस बात पर देता है कि उसे हर हाल में जीत हासिल करनी है और खुद को नैतिक आग्रहों से मुक्त रखता है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम कंसल्टेशन ऑन इलेक्टोरल एंड पॉलिटिकल रिफॉर्म्स में अपना वक्तव्य देते हुए रावत ने कहा, इसमें विधायकों-सांसदों की खरीद-फरोख्त को स्मार्ट पॉलिटिकल मैनेजमेंट माना जाता है, पैसे और सत्ता के दुरुपयोग इत्यादि को संसाधन माना जाता है। रावत ने कहा, चुनाव जीतने वाले ने कोई पाप नहीं किया होता क्योंकि चुनाव जीतते ही उसके सारे पाप धुल जाते हैं। राजनीति में अब ये सामान्य स्वभाव बन चुका है। जिन लोगों को भी बेहतर चुनाव और बेहतर कल की उम्मीद है उन्हें राजनीतिक दलों, राजनेताओं, मीडिया, सिविल सोसाइटी, संवैधानिक संस्थाओं के लिए एक अनुकरणीय व्यवहार का मानदंड तय करना चाहिए।
चुनाव आयुक्त की नसीहत पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस अंदाज में पलटवार किया जैसे लगा कि ओपी रावत ने भाजपा को ही निशाना बनाया हो। एक तरह से स्पष्टीकरण देते हुए नकवी ने कहा कि भारत के अंदर चुनाव साफ-सुथरे और निष्पक्ष होते हैं। राजनीतिक पार्टियां चुनाव लड़ती हैं और वह चुनाव जीतने के लिए ही लड़ती हैं। दूसरी चीज यह है कि चुनाव में नीति होनी चाहिए, नियत होनी चाहिए। सुशासन की बात होनी चाहिए। आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात होनी चाहिए। भाजपा जब चुनाव मैदान में होती है उसका सबसे बड़ा मुद्दा होता है विकास का। हम सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं। हम बात करते हैं अंत्योदय की।
चुनाव आयुक्त की बातों पर टिप्पणी करते हुए नकवी ने कहा कि चुनाव आयोग सुझाव देते रहते हैं। राजनीतिक पार्टी भी अपने सुझाव देते रहते हैं। हमारे देश में चुनाव की व्यवस्था है, आदर्श चुनाव की व्यवस्था है। हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया स्वतंत्र और साफ-सुथरी भी है। मुझे नहीं लगता कि इसमें अविश्वास करने का कोई कारण है। आम लोगों का विश्वास भी है इस व्यवस्था के प्रति। हमारे चुनाव की जो चुनावी प्रक्रिया व्यवस्था है वह दूसरे देशों से बेहतर है। दूसरे देश हमारी चुनावी प्रक्रिया का अध्ययन भी करते हैं और लिखते भी हैं।