भावुक हुए PM, बोले- पिता की तरह प्रणब दा ने रखा मेरा ख्याल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद से इसी महीने सेवामुक्त होने वाले प्रणब मुखर्जी की रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में जमकर तारीफ़ की। मोदी ने कहा कि प्रणब दा ने पिता की तरह हमेशा उनका ख्याल रखा। ऐसा कहते हुए पीएम मोदी एकदम से भावुक हो गए।
राष्ट्रपति भवन में 'प्रेसिडेंट ए स्टेटमेंट' नाम की किताब के लोकार्पण समारोह में पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे प्रणब दा की उंगली पकड़कर दिल्ली की जिंदगी में आगे बढ़ने का मौका मिला। पीएम मोदी ने आगे कहा, 'हमने सामान्य से दिखने वाले राष्ट्रपति देखे हैं, लेकिन जब फोटो के रूप में एक किताब छपती है, तो हमें पता चलता है कि देश के राष्ट्रपति (प्रणब मुखर्जी) एक बालक की तरह हंसते हैं। चाहे किसी भी देश का बड़े से बड़ा राष्ट्रप्रमुख ही क्यों ना आए। उस फोटो को देखकर पता चलता है कि हमारे राष्ट्रपति का आत्मविश्वास कितना मजबूत है। हमें गर्व होता है। राष्ट्रपति के अंदर भी एक इंसान होता है। ये चीजें कैमरा से पता चलती हैं। जब महात्मा गांधी थे, तब शायद इतने कैमरे नहीं होते थे, लेकिन गांधी की दो तस्वीरें हैं। एक में वे झाड़ू लेकर सफाई कर रहे हैं और दूसरी में माइक्रोस्कोप से तारे देख रहे हैं। इनसे गांधीजी के व्यक्तित्व को समझने में मदद मिलती है।'
प्रधानमंत्री ने कहा- 'ये किताब प्रणब दा को जानने के लिए, उनके निकट जाने के लिए, कभी-कभी तो लगता है उनके भीतर जाने के लिए एक अवसर दे रही है। मेरा सौभाग्य रहा है कि आदरणीय राष्ट्रपति जी के साथ काम करने का अवसर मिला। मैं जब भी अपने जीवन में देखता हूं तो एक अवसर आपातकाल में आया था। जब मैं राजनीतिक जीवन में नहीं था। सामाजिक जीवन से जुड़ा था। उस वक्त अलग-अलग विचार के लोगों के बीच काम करने का मौका मिला। तब मैं छोटा था, उस वक्त अलग-अलग लोगों से मिलने में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं गुजरात विद्यापीठ के वाइस चांसलर धीरूभाई देसाई के घर जाता था। उनसे मिलता था। वे पक्के गांधीवादी थे। रवींद्र वर्मा, जॉर्ज फर्नांडिस जैसे लोगों से सीखने को मिला। जब मुख्यमंत्री बना तो बड़े गर्व से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के दिग्गज नेता नवल किशोर शर्मा से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। ये वक्त मेरे जीवन में बड़े बदलाव के थे। मैं मानता हूं कि मेरे जीवन का यह सौभाग्य रहा कि मुझे प्रणव दा की अंगुली पकड़ के दिल्ली की जिंदगी में अपने आपको सेट करने में बहुत मदद मिली। उनका बहुत बड़ा सहयोग रहा।'
पीएम मोदी ने कहा, मैं एक ऐसा इंसान हूं कि मुझे काम जल्दी पूरा करने की इच्छा रहती है। एक बार मैंने किसी अखबार में (आप लोग इन्हें लीक कर ही देते हैं) पढ़ा कि मैं अफसरों की बैठक ले रहा था। जब रात के 9 बजे बैठक खत्म हुई तो मैंने अफसरों से पूछा- अरे ये कैसे हुआ, इतने जल्दी बैठक खत्म हो गई। अपनी व्यस्त दिनचर्या में पिछले तीन साल में कई बार मैं राष्ट्रपति जी से मिला। लेकिन मेरी एक भी मुलाकात ऐसी नहीं रही जिसमें उन्होंने पिता की तरह और मैं बहुत अंतर्मन से ये कह रहा हूं...( यह कहते-कहते मोदी भावुक हो गए) कि जैसे कोई पिता अपनी संतान की देखभाल करता है वैसे ही प्रणब दा कहते थे- देखो मोदीजी आधा दिन तो आराम करना ही पड़ेगा। भाई इतना क्यों दौड़ रहे हो, कुछ कार्यक्रम कम करो। तुम अपनी तबीयत को संभालो। तब यूपी में चुनाव के दिन थे। प्रणब दा कहते थे कि भाई जीत और हार तो चलती रहेगी, लेकिन कुछ शरीर की ओर भी देखोगे या नहीं? ये एक राष्ट्रपति के दायित्व का हिस्सा नहीं था, लेकिन उनके भीतर का एक इंसान ही है कि उन्हें अपने एक साथी की चिंता रहती है। प्रणब दा का ये व्यवहार हम सबके लिए प्रेरणा हो सकता है। मैं उनका आदरपूर्वक नमन करता हूं।'