राहुल गांधी से मिले येचुरी, विपक्षी एकता और GST पर की मंत्रणा
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर होती दिखी। मुद्दा भले ही जीएसटी का रहा हो, लेकिन हंगामा ईवीएम को लेकर ही सामने आया। बाद में संसद भवन स्थित कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने पहुंचे और दोनों के बीच बंद कमरे में करीब आधे घंटे की बातचीत हुई। दरअसल राहुल गांधी ने येचुरी को मुलाकात के लिए आमंत्रित किया था। इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच विपक्षी एकता और जीएसटी बिल पर लंबी चर्चा हुई।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल ने सीताराम येचुरी से जानना चाहा कि यूपीए और एनडीए सरकार के जीएसटी बिल में क्या फर्क है। मोदी सरकार हमारे संशोधन को क्यों नहीं मान नहीं रही है। सरकार ने तो इसको वित्त विधेयक तक घोषित कर दिया है। ऐसे में राज्यसभा संशोधन पारित कर दे तो भी सरकार की मर्जी का विधेयक जो लोकसभा से पारित किया गया है, वही पास माना जाएगा।
राहुल गांधी के इस सवाल पर सीताराम येचुरी ने जवाब दिया कि भले ही वित्त विधेयक के नाम पर सरकार मनमर्जी कर ले लेकिन विपक्षी दलों को राज्यसभा में संशोधन पारित कराकर जनता के बीच अपनी राय स्पष्टता के साथ रखनी चाहिए। भले ही बाद में सरकार लोकसभा में उसको भेजे और वह संशोधन वित्त विधेयक के नाम पर बेमतलब हो जाए।
कॉफी और सैंडविच के साथ नाश्ते के टेबल पर राहुल और येचुरी के बीच बंगाल में पिछले सालों में कांग्रेस कैसे कभी ममता और कभी सीपीएम के बीच सैंडविच बनी रही, इसकी भी चर्चा हुई। इस मुलाकात के पीछे यह भी कहा जा रहा है कि सीताराम येचुरी का राज्यसभा का कार्यकाल जल्दी ही खत्म होने जा रहा है। राज्यसभा का अंकगणित कहता है कि येचुरी को कांग्रेस की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में कांग्रेस की भविष्य में बंगाल में क्या भूमिका रहेगी इसको लेकर भी दोनों नेताओं में चर्चा हुई।
मुलाकात के बाद खबरिया चैनलों से संक्षिप्त बातचीत में सीताराम येचुरी ने कहा, हां! राहुल ने मिलने का आमंत्रण दिया था तो मैं उनसे मिलने गया। हमने संसद से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा की। वैसे इस मुलाकात को राहुल की उस रणनीति के तहत देखा जा रहा है, जिसके तहत वह संसद के अंदर और संसद के बाहर विपक्षी दलों को लामबंद करना चाहते हैं।
मालूम हो कि दो दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कांग्रेस और वाम दलों को संदेश दिया था कि 2019 में अगर मोदी की भाजपा को हराना है तो गैर भाजपाई दलों को राष्ट्रीय स्तर पर बिहार जैसा गठबंधन बनाने की पहल शुरू कर देनी चाहिए।