RSS वाले बयान पर फिर पलटे कांग्रेस के युवराज
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: आरएसएस को महात्मा गांधी का हत्यारा बताने वाले बयान पर कांग्रेस के युवराज और पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा यू-टर्न लिया है। उन्होंने कहा है कि वो अपने पहले के बयान पर कायम हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा है कि इस मसले पर वो जेल जाने को तैयार हैं।
इस ताजा बयानबाजी के बाद राहुल गांधी पर मुंबई की निचली अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलता रहेगा। राहुल के इस रुख के बाद पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होता दिख रहा है और एक तरह से उसने संघ पर ही हमला बोल दिया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि गांधी को कोई हिंदू नहीं मार सकता था और अब संघ को बताना होगा कि नाथूराम गोडसे सच्चा हिंदू था या नहीं।
गुरुवार को राहुल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि वह संघ के बारे में दिए अपने बयान पर कायम हैं और उसे नहीं बदलेंगे। इसको लेकर निचली अदालत में दायर केस का सामना करेंगे। राहुल गांधी ने मानहानि का मुकदमा वापस लेने के लिए महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस का हाथ न होने का बयान अदालत में दर्ज कराने की शिकायतकर्ता राजेश माधव कुंटे की मांग गुरुवार को ठुकरा दी।
कांग्रेस नेता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अपने बयान पर कायम थे, कायम हैं और कायम रहेंगे। उसे नहीं बदलेंगे। वह मुकदमें का सामना करने को तैयार हैं। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने सुनवाई के बाद निचली अदालत में लंबित मुकदमें में दखल देने से इन्कार कर दिया। इस पर सिब्बल ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी। अनुमति मिलने पर सिब्बल ने याचिका वापस ले ली।
हालांकि कोर्ट ने निचली अदालत में पेशी से छूट देने की राहुल की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए तय प्रक्रिया है और वह उसका पालन करें। हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत से यह जरूर कहा है कि वह इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बगैर मेरिट के आधार पर केस की सुनवाई करे।
पिछली सुनवाई पर सिब्बल ने कोर्ट में बताया था कि राहुल ने संघ पर नहीं बल्कि उससे जुड़े कुछ लोगों पर गांधी की हत्या करने का आरोप लगाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा था, "हम राहुल गांधी के बयान का यह मतलब समझते हैं कि एक संस्था के तौर पर आरएसएस गांधी जी की हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं है। सिर्फ कुछ लोगों ने गांधी को मारा था।"
कोर्ट ने शिकायतकर्ता राजेश माधव कुंटे के वकील से कहा था कि वह इस निष्कर्ष के बारे में अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं ताकि कोर्ट अपने आदेश में यह बात लिखवाए। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कुंटे के वकील यूआर ललित ने कहा कि अगर राहुल अदालत में यह बयान दें कि उनका मकसद आरएसएस को दोषी ठहराना नहीं था तो वह अपना केस वापस लेने को तैयार हैं।
राहुल गांधी अपने बयान के आगे यह जोड़ दें कि आरएसएस गांधी जी की हत्या में शामिल नहीं थी। और भविष्य में राहुल गांधी इस तरह का बयान नहीं देंगे तो वह मुकदमा वापस ले लेंगे। ललित का कहना था कि पिछले 60 सालों से कांग्रेस मौके दर मौके आरएसएस को गांधी जी की हत्या का दोषी बताती रही है।
जब भी चुनाव आता है, अल्पसंख्यक वोटों के लिए ऐसे बयान दिए जाते हैं। लेकिन राहुल के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह (राहुल) अपने बयान पर पूरी तरह कायम हैं कि गांधी जी को आरएसएस के लोगों ने मारा। इसके अलावा वह कुछ भी नहीं कहेंगे। वह मुकदमें का सामना करेंगे। सिब्बल के अनुसार, यह बात नाथूराम गोडसे का भाई भी कहता है।
आरएसएस कार्यकर्ता कुंटे ने 2014 में चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी द्वारा दिए गए इस विवादित बयान को आधार बनाते हुए उनके खिलाफ मुंबई की भिवंडी कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दाखिल किया है। भिवंडी कोर्ट ने इस मामले में राहुल को समन भी जारी किया था।
राहुल गांधी ने हाई कोर्ट से मुकदमा और समन रद करने की मांग की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी।