जेठमलानी ने खराब कर दी अरुण जेटली की दिवाली
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने स्विस बैंक में कालाधन खाताधारकों के नामों का खुलासा करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखी है। दीपावली के शुभ मौके अरुण जेटली को भेजी कड़वी घूंट जैसी चिट्ठी में जेठमलानी ने कहा है कि यह देश के वित्त मंत्री की ड्यूटी बनती है कि इस मामले में किसी भी जांच से पहले एसआईटी को उसकी जानकारी दी जाए। इस चिट्ठी से कालाधन खाताधारकों के नामों का भले ही खुलासा नहीं हुआ लेकिन वित्त मंत्री जेटली की पोल जरूर खुल गई है। कहें तो जेठमलानी ने पत्र लिखकर अरुण जेटली की दिवाली जरूर खराब कर दी।
जेठमलानी ने जेटली को निशाने पर लेते हुए अपने खत में काफी कड़वी बातें लिखी हैं। उन्होंने लिखा, 'आप हाल ही में मौत के मुंह से निकले हैं। इससे आपकी नैतिकता में बदलाव और देश प्रेम में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। मोदी जी ने चुनाव प्रचार के दौरान जो भरोसा बनाया था आप उसे तोड़ रहे हैं। आप आपराधिक कानून के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं और गहन आपराधिक जांच के बारे में तो और भी कम, खास तौर पर जैसी जांच इस केस में है। आपको अपने से ज्यादा बौद्धिक और नैतिक लोगों से सीखने में शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए।'
जेठमलानी आगे लिखते हैं, 'आप देश को सुसाइड की ओर ले जा रहे हैं और मोदी जी को देश को गुमराह करने वाले बदलाव पर एक्सपोज भी कर रहे हैं। हो सकता है यह आपका उनसे बदला लेने का तरीका हो क्योंकि जिसे आप अपना ऑफिस (पीएम ऑफिस) समझते थे वह उन्होंने ले लिया। आप बड़े अपराधियों को बचाने में मदद कर रहे हैं। प्लीज आप मुझे उन नामों की सूची मत भेजिए जो आपको जर्मनी से मिली है। वे नाम आप एसआईटी को भेज दीजिए, ताकि वह उन्हें बता सकें कि आगे क्या करना है। सुप्रीम कोर्ट जांच कर रहा है, वह कोई जांच एजेंसी नहीं है। मुझे इस बारे में अखबारों से पता चला है।'
खत के शुरुआत में जेठमलानी लिखते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट में आपकी अपील एक निहायत खराब पहल है। डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस टैक्स (डीटीएटी) को किसी दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हम एक ही आय पर भारत और जर्मन सरकार को टैक्स देने वाले लोगों से नहीं लड़ रहे हैं। डीटीएटी सरकार को इन लोगों का नाम बताने से नहीं रोकता है जर्मनी ने कभी नहीं कहा है कि नाम बताने से डीटीएटी संधि का उल्लंघन होगा।'
जेठमलानी लिखते हैं, 'सु्प्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आपने मुझे 18 कालाधन खाताधारकों के नाम बताए। लेकिन इसमें हसन अली जैसे बड़े लोगों का नाम नहीं होना बताता है कि सरकार असली अपराधियों की पहचान छुपाना चाहती है। जब आप राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे तो जर्मनी ने कहा था कि वह बिना किसी शर्त के कालाधन खाताधारकों के नाम किसी भी दोस्त देश के साथ साझा करना चाहता है। सरकार ने इसपर कोई पहल नहीं की। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते आपकी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते सुषमा जी की जिम्मेदारी बनती थी कि जर्मनी से संपर्क कर उन नामों का खुलासा किया जाता। आपके व्यवहार को देखकर मुझे पूरी तरह संदेह है कि बाकी ज्यादातर नेताओं की तरह आप भी सच को सामने लाना नहीं चाहते हैं।'
अंत में जेठमलानी ने लिखा, 'आपके प्रतिदिन आ रहे विपरीत सार्वजनिक बयानों से साफ है कि आप दुविधा और भ्रम में हैं। ऐसा लगता है कि आपको यूनाइटेड कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन के बारे में जानकारी नहीं है, जिस पर स्विट्जरलैंड और जर्मनी दोनों ने साइन किए हैं। साफ है कि सोनिया-मनमोहन की सरकार के लिए इसे लागू करना ठीक नहीं था। उन्होंने साल 2011 आधा बीत जाने के बाद इसे लागू किया।' खत के आखिर में राम जेठमलानी ने खुद को भाजपा से निकाले गए सदस्य के तौर पर अपना परिचय भी दिया।