संघ और मोदी के मंत्री मिलकर खिलाएंगे कमल!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के़ वैचारिक संरक्षक कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, यानी आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने हाल ही में मोदी सरकार के करीब 30 मंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक को समन्वय बैठक का नाम दिया गया जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि भाजपा और संघ के बीच इस अहम चुनाव को लेकर पूरा तालमेल बना रहे ताकि बिहार वाली गलती की पुनरावृति ना होने पाए।
आरएसएस का कहना है कि भाजपा तथा आरएसएस मिलकर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए उसी तरह अपनी रणनीति को बनाएं जैसा कि असम में चुनाव के वक्त किया था। संघ नहीं चाहता कि उत्तर प्रदेश में भी बिहार जैसी स्थिति बने, जहां समन्वय में कमी ने नतीजों को प्रभावित किया था। लेकिन ये हालात तभी तक बने रहेंगे जब तक चेहरा घोषित नहीं किया जाता।
आरएसएस उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए एक आचार संहिता बनाना चाहती है। पिछले साल बिहार चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तथा जनरल वीके सिंह जैसे भाजपा नेताओं की टिप्पणियों से पार्टी को वोटरों का मन जीतने में दिक्कतें पैदा हो गई थीं और भाजपा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन से मिली करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हालांकि हो तो कुछ ऐसा ही रहा है जैसा बिहार चुनाव के दौरान हुआ था। वीके सिंह ने एक पूर्व फौजी जिसने वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर आत्महत्या कर ली के मानसिक अवस्था की जांच कराने का विवादित बयान देकर विपक्षी दलों को राजनीति करने का फिर से मौका दे दिया है।
भाजपा को उत्तर प्रदेश में 14 साल बाद अपने लिए सरकार बनाने का बेहतरीन मौका मानकर चल रहा है और इसीलिए उसका ज़ोर भाजपा-आरएसएस में समन्वय पर है। पार्टी ने हालांकि अभी यह तय नहीं किया है कि चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा कौन होगा, चुनाव का एजेंडा क्या होगा। लेकिन इतना तय है कि संघ और भाजपा का मुद्दा हिन्दू और हिन्दुत्व के इर्द-गिर्द ही होगा। राम मंदिर मुद्दे को हवा देने की कोशिश शुरू हो गई है। लखनऊ में दशहरा के मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरूआत और समापन 'जय श्रीराम' से कर के साफ संकेत दे दिये हैं। पाकिस्तान की नापाक हरकतों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संघ-भाजपा की बैठक में बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि मोदी सरकार की गरीबों के लिए चलाई गई योजनाओं के बारे में जनता को कैसे जानकारी दी जानी चाहिए। लेकिन मोदी के मंत्री इन योजनाओं को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं कि इससे यूपी चुनाव में कोई बहुत फायदा होगा। क्योंकि इन योजनाओं की असलियत उन्हें अच्छे से पता है। रोजगार सृजन का आंकड़ा लगातार नीचे जा रहा है। महंगाई कम होने नाम नहीं ले रही है तो फिर गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का कितना फायदा होगा उसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि बैठक में न सिर्फ उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए, बल्कि पंजाब और गुजरात जैसे अन्य राज्यों में वर्ष 2017 में होने जा रहे चुनाव के लिए भी रणनीति पर चर्चा की गई है। बहरहाल, इस बैठक की दशा और दिशा क्या होगी इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना तय है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? और टिकट बंटवारे में जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं का कितना दखल पार्टी आलाकमान स्वीकार करती है इस पर भाजपा के भविष्य का कुछ अंदाजा लगाया जा सकेगा।