CSAT पर संसद में हंगामा, फैसले के खिलाफ छात्रों का हल्ला बोल
सत्ता विमर्श ब्यूरो
दिल्ली: CSAT पर तकरार खत्म होती नहीं दिख रही है। संसद से सड़क तक मोदी सरकार के खिलाफ नेता और छात्र लामबंद होते दिख रहें हैं। राज्यसभा में जहां इस विषय को लेकर जमकर हंगामा बरपा वहीं छात्रों का प्रदर्शन भी जारी है। दूसरी ओर, भाजपा संसदीय दल की बैठक में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सीसैट मसले पर कम से कम समय में सरकार ने बेहतर कदम उठाया है। उन्होंने भरोसा दिया कि यूपीएससी की परीक्षा तय कार्यक्रम के अनुसार ही होगी।
तमाम विपक्षी दल UPSC की परीक्षा से CSAT हटाने की मांग कर रहे हैं। जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने CSAT खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि भाषा के आधार पर छात्रों से भेदभाव गलत है। जेडीयू के अलावा दूसरे दलों ने भी सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी बात रखी।
सरकार की तरफ से जवाब देने आए भाजपा नेता नकवी ने कहा कि छात्रों की मांग के मामले में सरकार ने संवेदनशीलता से कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस और यूपीए के काल में पैदा की हुई समस्या है, जो हमें सुलझानी पड़ रही है। करे कोई भरे कोई।
वहीं, पिछले 25 दिनों से मुखर्जी नगर में प्रदर्शन कर रहे परीक्षार्थियों ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) प्रश्न-पत्र को पूरी तरह हटाए जाने तक अब जंतर-मंतर पर अपना प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया है।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वो , सीसैट को लेकर कार्मिक राज्य मंत्री जीतेंद्र द्वारा लोकसभा में दिए गए बयान से संतुष्ट नहीं हैं। छात्र सीसैट को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर रहें हैं। अब छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया है।
आंदोलनकारी छात्रों का कहना है, ‘सरकार ने सोमवार को जो घोषणा की, वह छात्रों की कभी मांग रही ही नहीं। हमने बीजेपी सरकार से कभी नहीं कहा था कि सीसैट पैटर्न में संशोधन किया जाए। इसकी बजाय, 'हमारी मांग थी कि हिंदी माध्यम में पढ़े लाखों छात्रों के हित में सीसैट को खत्म किया जाए।’
उन्होंने कहा, ‘चुनावों से पहले बीजेपी ने वादा किया था कि वह सीसैट खत्म करेगी। बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने उन लाखों यूपीएससी परीक्षार्थियों को धोखा दिया है जिन्हें उम्मीद थी कि नई सरकार उनकी मांगें मानेगी।’
गौरतलब है कि कार्मिक मंत्री जीतेंद्र सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ऐलान किया कि सीसैट के प्रश्न-पत्र में पूछे जाने वाले अंग्रेजी के सवालों के अंक मेरिट में नहीं जोड़े जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि 2011 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए छात्रों को 2015 की परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका दिया जाएगा। साल 2011 में ही सीसैट लागू किया गया था।
इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक के.एन. गोविंदाचार्य ने लोकसभा स्पीकर से अनुरोध किया है कि वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित ‘राजभाषा संकल्प’ के उल्लंघन के लिए यूपीएससी के अध्यक्ष और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव के खिलाफ कार्रवाई करें।
गोविंदाचार्य ने कहा कि 2011 में यूपीएससी ने बिना किसी जनादेश और ‘राजभाषा संकल्प का उल्लंघन’ करते हुए सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव किया था। उन्होंने मांग की कि यूपीएससी परीक्षा के प्रश्न-पत्र मूलत: हिंदी में तैयार किए जाएं और फिर उनका अनुवाद अंग्रेजी में किया जाए।
उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे गए ज्ञापन पर कोई कार्रवाई न होने पर भी अपनी अप्रसन्नता जाहिर की। ये ज्ञापन गोविंदाचार्य ने प्रधानमंत्री को सौंपा था।