असहिष्णुता के लिए भारत में कोई जगह नहीं: प्रणब मुखर्जी
सत्ता विमर्श ब्यूरो
कोच्चि/नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों में तर्क की जगह हिंसा के जरिए अपनी बात रखने की प्रवृत्ति पर खेद जताया है। उन्होंने वश्वविद्यालयों को सुझाव दिया कि वे अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तर्कसंगत बहस की प्रवृति को बढ़ायें। उन्होंने अपील की कि देश में किसी भी असहिष्णु भारतीय के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
कोच्चि में केएस राजामौनी मैमोरियल लेक्चर के दौरान अपने संबोधन में मुखर्जी ने कहा कि ज्ञान के इन मंदिरों में स्वतंत्र दृष्टिकोण, सोच के अलावा सृजनात्मकता का माहौल होना चाहिए। उन्होंने कहा- देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को अपने परिसर में अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तार्किक वाद-विवाद को प्रोत्साहन देना चाहिए। जो हिंसा को प्रोत्साहित करते हैं उन्हें ध्यान देना चाहिए कि इतिहास चंगेज खान या हिटलर को नहीं बल्कि बुद्ध, अशोक और अकबर को हीरो के तौर पर याद करता है।
मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र उद्देश्य और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देकर ही हम अपने देश को सतत विकास और समृद्धि के मार्ग पर ले जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने देशवासियों से राष्ट्र की बहुसंस्कृति और सांस्कृतिक विविधता एवं विभिन्नता को और मजबूत बनाने का प्रयास करने की अपील की। हालांकि अपने संबोधन में उन्होंने किसी विश्वविद्यालय का नाम नहीं लिया लेकिन विश्वविद्यालयों में जारी हालिया घटनाक्रम की ओर संकेत किया। प्रणब दा ने कहा कि विश्वविद्यालयों में हिंसा पर उतारू छात्रों को देखकर कष्ट होता है।
गौरतलब है कि रामजस कालेज के एक कार्यक्रम में जेएनयू के विवादित छात्र उमर खालिद और जेएनयू छात्र संघ की नेता शहला राशिद को आमंत्रित करने वाले आयोजकों के साथ एबीवीपी ने मारपीट की थी जिसके बाद वहां छात्रों के दो गुटों के बीच हिसंक झड़प हो गई थी। वामदल समर्थक छात्र संगठन आइसा का आरोप है कि मारपीट एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने की जबकि एबीवीपी ने इस आरोप को गलत बताया है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जेएनयू के कुछ छात्रों पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने को लेकर पुलिस ने राष्ट्रद्रोह के मामले दर्ज किए थे। जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय को दिए गए अपने संदेश में मुखर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने परिसर में अशांति के माहौल को बढ़ावा देने के बजाए तार्किक वाद-विवाद को प्रोत्साहन देना चाहिए।