वरुण ने कहा- 'फूल कर कुप्पा होने की जरूरत नहीं सरकार'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
इंदौर: भारतीय जनता पार्टी सांसद ने कहा है कि देश की विकास तरक्की को लेकर फूल कर कुप्पा होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि GDP को देश की तरक्की का पैमाना नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे स्वास्थ्य, अशिक्षा और महिलाओं की बेगारी की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं मिलता है। अब ये स्पष्ट है कि उनके निशाने पर कौन और क्यों है। भाजपा के स्टार प्रचारक ने ऐसे कई मुद्दे उठाये जो उनकी पार्टी लाइन से इतर है और उनके बगावती तेवरों को और धार देने वाले हैं। उन्होंने वेमुला खुदकुशी मामला, विजय माल्या के बकाए कर्ज, किसानों की कर्ज माफी पर भी अपनी राय खुलकर जाहिर करने में संकोच नहीं किया। अब उत्तर प्रदेश में जारी विधानसभा चुनावों के बीच वरुण का ये बयान सरकार के विकास और तरक्की के दावों पर सवाल खड़े करने वाला है। प्रधानमंत्री अपने भाषणों में देश की विकास दर का बार-बार जिक्र करते हैं।
उत्तर प्रदेश में तो नहीं लेकिन इंदौर में वरुण गांधी ने अपने विचार बेलौस जाहिर किए। उन्होंने दलितों की दयनीय स्थिति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में PhD छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से पहले लिखा उनका पत्र पढ़ने के बाद उन्हें रोना आ गया। वरुण ने मंगलवार को यहां के निजी विद्यालय विद्यासागर स्कूल में 'विचार नये भारत का' विषय पर अपने व्याख्यान में कहा, 'पिछले साल हैदराबाद में दलित PhD विद्यार्थी रोहित वेमुला ने अपनी जान ले ली। जब मैंने उनकी चिट्ठी पढ़ी तो मुझे रोना आ गया। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि मैं अपनी जान इसलिये दे रहा हूं क्योंकि मैंने इस रूप में जन्म लेने का पाप किया है। यह लाइन पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे हृदय पर पत्थर डाल दिया हो।'
उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर से 36 वर्षीय BJP सांसद ने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में दलितों के साथ भेदभाव के पिछले महीने सामने आये मामले का भी जिक्र किया। वरुण ने कहा, 'टीकमगढ़ के एक स्कूल में 70 प्रतिशत बच्चों ने एक हफ्ते तक केवल इसलिये मध्याह्न भोजन नहीं किया क्योंकि खानसामा गरीब तबके के एक समुदाय का था। आखिर हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं? आखिर यह देश और दुनिया किस तरफ जा रही है?' गौरतलब है कि ये भाजपा शासित राज्य है। उन्होंने कहा, 'हमारा संविधान जाति और मजहब के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं करता लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे देश में अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग 37 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इस समुदाय के करीब 8 प्रतिशत बच्चे अपना पहला जन्मदिन मनाने से पहले ही गरीबी के कारण भगवान को प्यारे हो जाते हैं।'
वरुण ने कहा, 'डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि हमें सियासी लोकतंत्र नहीं बल्कि सामाजिक लोकतंत्र की जरूरत है। हमें आज महसूस होता है कि वह सोच के मामले में अपने समय से कितने आगे थे।' BJP के युवा सांसद ने अल्पसंख्यकों की दुश्वारियों को भी रेखांकित करते हुए कहा, 'देश की आबादी में 17.18 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं लेकिन इनमें से केवल 4 फीसद लोग उच्च शिक्षा हासिल कर पाते हैं। हमें इन समस्याओं को हल करना है।'
उन्होंने देश में आर्थिक असमानता और कर्ज वसूली में भेदभाव को लेकर कहा, 'देश के ज्यादातर किसान चंद हजार रुपये का कर्ज न चुका पाने के चलते जान दे देते हैं लेकिन विजय माल्या पर सैंकड़ों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया होने के बावजूद वह एक नोटिस मिलने पर देश छोड़ कर भाग गया।' उन्होंने देश के बडे औद्योगिक घरानों पर बकाया कर्ज माफ करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, 'अमीरों को रियायत दी जा रही है, जबकि गरीबों की थोड़ी सी संपत्ति को भी निचोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।'
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इससे पहले भी कई मौकों पर वरुण गांधी अपने बागी तेवर दिखा चुके हैं। कुछ समय पहले उन्होंने सुल्तानपुर में ताकत के विकेंद्रीकरण की भी बात कही थी। फायर ब्रांड नेता की छवि रखने वाले वरुण पर पार्टी की सोच से इतर काम करने का आरोप भी लगता रहा है। वो जवाहरलाल नेहरू को भला बुरा कहने के खिलाफ भी कई बार खुलकर अपनी बात कह चुके हैं। दरअसल, इसका एक अहम कारण वरुण को प्रदेश के सीएम के तौर पर पेश ना किए जाने को भी माना जाता रहा है। उन्हें और उनकी मां मेनका गांधी को पूरी उम्मीद थी कि उनके काम और समर्पण को देखकर पार्टी मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव रखेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक उन्हें शीर्ष नेतृत्व कुछ खास पसंद नहीं करता है।