नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 संसद से पास, मोदी ने बताया ऐतिहासिक तो सोनिया बोलीं संवैधानिक इतिहास का काला दिन
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : भारतीय संसद ने नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 को संख्या बल के आधार पर पारित कर दिया। करीब आठ घंटे की बहस के बाद बुधवार को राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125, जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। निचले सदन लोकसभा में इस बिल को सोमवार को ही पास कर दिया गया था जहां 14 घंटे की बहस के बाद रात 12.04 बजे वोटिंग कराई गई। इस सदन में बिल के समर्थन में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े थे।
पीएम मोदी ने कहा- ऐतिहासिक तो सोनिया बोलीं- भारत के संवैधानिक इतिहास का काला दिन
राज्यसभा में बिल पास होने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए ऐतिहासिक बताया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, इससे देश की समानता और भाईचारे की भावना को बल मिलेगा। वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विधेयक के पारित होने को भारत के संवैधानिक इतिहास का ‘काला दिन' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह उस भारत की उस सोच को चुनौती है जिसके लिए राष्ट्र निर्माता लड़े थे। विधेयक का पारित होना तुच्छ सोच वाली और कट्टर ताकतों की भारत के बहुलवाद पर जीत है। यह विधेयक उस आइडिया ऑफ इंडिया को बुनियादी तौर पर चुनौती है जिसके लिए हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने लड़ाई लड़ी। अब इसकी जगह अशांत, विकृत और विभाजित भारत बनेगा जहां धर्म राष्ट्रीयता की पहचान होगी।
एक तरफ जहां संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में बहस हिन्दू बनाम मुसलमान को लेकर होती रही, वहीं असम की सड़कों पर अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर आंदोलन तेज हो गए हैं। वहां 24 घंटे के लिए इंटरनेट और मोबाइल फोन बंद कर दिया गया है। गुवाहाटी में कर्फ्यू लगा दी गई है। सेना को भी अलर्ट पर रखा गया है। गुवाहाटी में प्रदर्शन इतना तेज हो गया कि वहां अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान अमित शाह ने यह भी कह दिया कि वह एनआरसी लेकर आ रहे हैं। अपने-अपने दस्तावेज़ तैयार रखिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बिल को लेकर कांग्रेस भ्रम नहीं फैलाए। कांग्रेस नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुलमिल जाते हैं। अमित शाह ने पूछा कि कांग्रेस ने शत्रु बिल का विरोध क्यों किया था? उसका कोई जस्टिफिकेशन है?
अमित शाह ने कहा कि सदन में सवाल उठाया गया कि यह बिल क्यों? तो मैं बताना चाहता हूं कि यह बिल कभी नहीं लाना पड़ता अगर इस देश का बंटवारा नहीं हुआ होता। अगर पहले कोई सरकार यह बिल लाती तो अभी इसे लाने की जरूरत नहीं होती। कल कोई चुनाव नहीं है। आखिर देश की समस्या को कब तक टाला जा सकता है? शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता भोगने के लिए नहीं समस्याओं को दूर करने के लिए आई है। आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल के टोकने के बाद फिर मैं कह रहा हूं कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं हुआ होता तो इस बिल को लाने की जरूरत नहीं होती। 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के साथ देश में पूरी आजादी सुनिश्चित किए जाने का वादा किया गया था। तमाम महत्वपूर्ण पदों पर मुसलमान आसीन हुए। भारत ने अपना वादा निभाया लेकिन वहां (पाकिस्तान) क्या हुआ?
शाह ने कहा कि जिन्होंने जख्म लगाए वही सवाल पूछ रहे हैं। यह पहली बार नहीं है, नागरिकता संशोधन पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी अलग-अलग समस्याओं को हल करने के लिए बिल लाए गए। आज भी भारत से जुड़े तीन देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बिल लाया गया है। इसके पहले कई देशों के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए बिल लाए गए तो फिर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए ऐसा क्यों नहीं किया गया? शाह ने कहा कि मुझे ध्यान बंटाने की जरूरत नहीं है। इसे राजनीतिक नजरिये से न देखें। हम अपने काम और अपने नेता के दम पर चुनाव जीतते हैं। एक सवाल किया गया कि इसमें मुस्लिम क्यों नहीं हैं? चूंकि यह बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए है जो वहां धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए। मोदी के शासन काल में पिछले पांच साल में इन तीन देशों के 566 मुस्लिमों को यहां की नागरिकता दी गई है। शाह ने कहा कि हमारी व्याख्या है कि जो अल्पसंख्यक है उसके लिए यह बिल है। क्या आपका मानना ये है कि अगर ये मुस्लिम होंगे तभी यह पंथनिरपेक्ष होंगे? उन्होंने कहा कि हमने वहां के अल्पसंख्यकों में शामिल सभी पंथ, धर्म के मानने वालों को इसमें शामिल किया है। शाह ने कहा कि यह बिल आर्टिकल 14 समेत संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है।
शाह ने कहा कि हमें किसी के कोर्ट में जाने से डर नहीं लगता। यह कानून वहां भी सही होगी। भारत के मुसलमानों को भारत ने सम्मान दिया। इनकी नागरिकता को कोई समस्या नहीं है। शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पॉलिटिक्स कीजिए लेकिन इसे करके देश में विभेद पैदा मत कीजिए। कांग्रेस ने भी इसे मानने की बात दुहराई थी लेकिन अब विरोध क्यों कर रहे हैं? गांधी जी ने अपनी प्रार्थना में कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख जो यहां आना चाहते हैं आएं और भारत सरकार उनके लिए सभी तरह का इंतजाम करेगी। गांधी जी ने सिर्फ हिंदू और सिख के लिए ऐसी बातें कही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस समस्या का जिक्र किया था और समाधान की अपील की थी। नरेंद्र मोदी सरकार यह मानती है कि नेहरू-लियाकत समझौता का सम्मान किया जाना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि टू नेशन थ्योरी सावरकर की है या नहीं, मैं इसको चैलेंज नहीं करता। देश विभाजन की मांग जिन्ना ने की लेकिन कांग्रेस ने मानी, क्यों? शाह ने कहा कि नाजी और जर्मनी का जिक्र किया गया लेकिन यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कभी नहीं रोका गया। शाह ने संजय राउत का जिक्र करते हुए कहा कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं। लोकसभा में शिवसेना ने समर्थन किया लेकिन एक रात में ऐसा क्या हुआ कि शिवसेना ने अपना स्टैंड बदल लिया। आरजेडी सांसद मनोज झा के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि 70 साल से शरणार्थियों के नारकीय जीवन को कांग्रेस ने मुक्ति नहीं दी थी, उसे नरेंद्र मोदी ने देने का काम किया। कपिल सिब्बल के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि धार्मिक आधार पर उत्पीड़न की कहानियां अखबारों के हवाले से, कई रिपोर्टों के हवाले से आप देख सकते हैं। यह बिल नागरिकता लेने का नहीं देने का बिल है और इससे भारतीय मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है। शाह ने कहा कि मुझे कोई न समझाए, मेरी सात पुश्तें यही जन्मी हैं और मैं भी यहीं जन्मा हूं और यहीं मरूंगा। नरेंद्र मोदी सरकार का एक ही धर्म है संविधान। उसे सुनिश्चित कराना मेरा काम है और मैं उसे करूंगा।
हम डरते हैं तो सिर्फ संविधान से : कपिल सिब्बल
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है, हम डरते हैं तो सिर्फ संविधान से। सिब्बल ने कहा कि बिल पेश करते समय एक बात कही गई थी जिस पर मुझे सख्त आपत्ति है। आपने कहा था कि देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है। मुझे इस पर आपत्ति है। कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है। मैं इस देश का नागरिक हूं, आप से नहीं डरता हूं। मैं डरता हूं तो सिर्फ संविधान से। देश का मुसलमान डरता है तो सिर्फ संविधान से। कपिल सिब्बल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें पता है आपका लक्ष्य क्या है। ये मैं 2014 से जान और देख रहा हूं। अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, तीन तलाक, एनआरसी और फिर एनआरसी... सब पता है। आप चाहते हैं लोगों को उनके नाम से पहचाना जाए।
जिस स्कूल में आप पढ़ते हैं हम उसके मास्टर हैं : संजय राउत
शिवसेना सांसद संजय राउत ने सदन में कहा कि जो बिल का समर्थन करेंगे वो देश भक्त होंगे और जो नहीं करेंगे वो देशद्रोही होंगे, ये मैंने पढ़ा है। ये भी पढ़ा कि जो बिल का विरोध कर रहे हैं वो पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। राउत ने कहा कि ये पाकिस्तान की संसद नहीं है, ये भारत की संसद है। हमारे मजबूत प्रधानमंत्री, हमारे मजबूत गृहमंत्री, आपसे बहुत आशा है। जिस स्कूल में आप पढ़ते हैं हम उसके मास्टर हैं और बाला साहेब तो हेडमास्टर थे। हम शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं तो घुसपैठियों को निकालना चाहिए। मानवता के आधार पर हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए। उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री को पहले कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाना चाहिए। हालांकि अपने भाषण में संजय राउत ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे इस बिल के समर्थन में हैं या विरोध में।
गृहमंत्री जी! बंगाल कोई गुजरात नहीं : डेरेक ओ-ब्रायन
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जो देश के लोग हैं उनका आप ख्याल रख नहीं रहे हैं और दूसरे के सम्मान की बात कर रहे हैं? बंगाल कोई गुजरात नहीं है। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि वादा करने से ज्यादा वादा तोड़ने में यह सरकार शानदार है। सरकार कहती है कि इस बिल को लेकर चिंता करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन मैं कहता हूं चिंता करने का कारण है। सरकार ने नोटबंदी के समय कहा कि आप मुझे 50 दिन दे दीजिए अगर हालात ठीक नहीं हुए तो आप मुझे सार्वजनिक जगह पर सजा दे दीजिएगा, लेकिन वो नहीं हुआ। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ये लोग झूठ बोलते हैं। जो कहते हैं वो नहीं करते, इसलिए इस बिल पर चिंता का कारण है।
तो क्या पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनेंगे : आनंद शर्मा
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, आपने (सरकार) कहा कि यह ऐतिहासिक होगा, लेकिन इतिहास इसे कैसे देखेगा? सरकार जल्दबाजी में है। हम इसका विरोध करते हैं। इसका कारण राजनीतिक नहीं, संवैधानिक और नैतिक है। बिल लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस नागरिकता संशोधन बिल से पूरे देश में असुरक्षा की भावना भर गई है। लोगों के मन में आशंका है। अगर ऐसा है तो क्या पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनेंगे? यह अन्याय होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यहां पुर्नजन्म पर विश्वास किया जाता है। सरदार पटेल अगर मोदी जी से मिलेंगे तो काफी नाराज होंगे। आनंद शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि गांधी जी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है। आनंद शर्मा ने कहा कि यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्षता का जिक्र है, यह उस मूल भावना के भी खिलाफ है। आनंद शर्मा ने महात्मा गांधी का जिक्र किया और कहा कि उनका कहना था कि मेरा घर ऐसा हो जहां कोई दीवार न हो, जहां सभी धर्म के अनुयायी हों।
इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश करते हुए कहा कि यह बिल देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। हमारे तीनों पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं। वहां मुस्लिम बहुलसंख्यक हैं इसलिए जो नागरिकता संशोधन बिल पेश किया गया है उसमें हिंदू, सिख, जैन, बौध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की बात की गई है। इस बिल के पास होने से इन समुदायों के लोगों को जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले यहां रह रहे हैं उनको भारत की नागरिकता मिल जाएगी। जो नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं उनको मुक्ति मिल जाएगी।