भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, निराशा की वजह नहीं : PM
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक मंदी की वजह से विकास दर में कमी जरूर आई है, लेकिन हमारी अर्थव्यस्था की बुनियाद बेहद मजबूत है और आने वाले कुछ समय में हम कठिनाइयों से पार पा लेंगे। बुधवार को 12वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछली कुछ तिमाही में भारत के बाहर भारत के बारे में यह धारणा बनी है कि देश पिछले एक दशक में हासिल विकास की गति को खो रहा है। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे वर्तमान और भविष्य के प्रति निराश होने का कोई कारण नहीं है।'
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में प्रवासी भारतीयों तहेदिल से स्वागत करते हुए कहा कि नए साल की शुरूआत एक बार फिर मातृभूमि के साथ प्रवासी भारतीय समुदाय के भावनात्मक, आध्यात्मिक, आर्थिक और पारिवारिक संबंधों के उत्सव साथ हो रहे हैं। इस साल हम भारतवंशियों में विशेष रूप से युवा पीढ़ी का स्वागत कर रहे हैं। हमारे बीच उनकी मौजूदगी पीढ़ियों को जोड़ने संबंधी इस साल के विषय को विशेष जीवंतता प्रदान कर रही है। मनमोहन ने कहा, 'प्रवासी भारतीय समुदाय अपने आकार के लिहाज से ही विश्व में दूसरे नंबर पर नहीं है, बल्कि आपकी उपलब्धियां भी आपको विश्व में बहुत महत्वपूर्ण स्थान देती हैं। इस भारतीय समुदाय का भारत में भी बहुमूल्य योगदान रहा है- विदेश में नौकरी करने वाले कामगार जो देश में रहने वाले अपने परिवार और समुदाय की मदद करते हैं, व्यवसायी जो अपने कौशलों को भारत के लिए साझा करते हैं, उद्यमी जो भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यहां निवेश करते हैं और सामुदायिक नेता जो विश्व को भारत के बारे में बताते हैं और विदेशों में उसके हितों को आगे बढ़ाते हैं।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम आपको समर्थन देना, आपकी सहायता करना तथा भारत के साथ आपके संबंधों को हरसंभव प्रोत्साहन देना जारी रखेंगे। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमारी सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय बनाया था। हमने विदेशों में भारतीय कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए हाल ही में महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना की शुरूआत की थी। इस साल दिल्ली में प्रवासी भारतीय केन्द्र का काम भी पूरा हो जाएगा। हम प्रवासी भारतीय भवनों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों की सहायता हेतु एक योजना शुरू करने के भी इच्छुक हैं।'
मनमोहन ने कहा, 'मुझे पता है कि आप में से बहुत से लोगों के जहन में भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर सवाल हैं और हमारी सामाजिक चुनौतियों, हमारी राज्य व्यवस्था के आकार और हमारे देश के शासन के मामलों के बारे में चिंताएं हैं। भारत के बाहर कुछ वर्गों में यह अवधारणा है कि हमारा देश पिछले दशक में कायम रही वृद्धि दर को खो रहा है। यह अवधारणा भारत में राजनीतिक प्रतिवादों की वजह से और प्रबल हुई है, जो उस चुनावी मौसम में और ज्यादा मुखर हो जाते हैं, जो अब काफी निकट है। मैं आप लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारे वर्तमान के बारे में हताश होने की या हमारे भविष्य के बारे में चिंता करने की कोई वजह नहीं है।'
प्रधानमंत्री ने अप्रवासी भारतीयों को आश्वस्त किया कि लोकसभा चुनाव-2014 के परिणाम चाहे कुछ भी हों, आप यह देखना विशेष रूप से उत्साहजनक है कि समाज के सभी वर्गों के युवा अपनी आकांक्षाएं और महत्वकांक्षाएं व्यक्त ही नहीं करते बल्कि अपने भविष्य को आकार देने के लिए राजनीति में भी सक्रिय हो रहे हैं। इस बात का स्वागत किया जाना चाहिए। ऐसा सिर्फ इसलिये हैं क्योंकि हमारे देश में विभिन्न स्तरों पर जो अभूतपूर्व बदलाव हो रहा है, वह हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में रचनात्मक रूप से सारभूत किया जा सकता है। इसमें हमारी जनता की नई और उभरती चिंताओं तथा आशाओं और महत्वकांक्षाओं पर विचार करने का उत्साह और प्रतिक्रियाशीलता है। मुझे भरोसा है और आपको भी होना चाहिए कि बहुलवादी लोकतंत्र के रूप में हमारे देश का भविष्य सुरक्षित और महफूज है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में अच्छा प्रदर्शन किया है। वर्ष 2004 के बाद से लेकर पिछले 9 वर्षों में हमारी सालाना औसत वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि हाल में आर्थिक मंदी का दौर रहा है और सम्भवत: इस साल की वृद्धि दर भी पिछले साल की 5 प्रतिशत वृद्धि दर के समान रहेगी। इन चुनौतियों के बावजूद, हमारी आर्थिक बुनियाद मजबूत रही है। हमारी बचत और निवेश दरें अभी भी हमारे सकल घरेलू उत्पाद के 30 प्रतिशत से ज्यादा हैं और भारत में उद्यमशीलता की भावना बेहद सक्रिय और गतिशील है।'
पीएम ने कहा, 'हाल के महीनों में हमने विशाल ढांचागत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने, कर प्रणाली में सुधार लाने, वित्तीय प्रबंधन में सुधार लाने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने तथा प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन और उपयोग की प्रणाली को तर्कसंगत बनाने की दिशा में व्यापक फैसले लिये हैं। व्यापक राजनीतिक समर्थन मिलने पर वित्तीय और बीमा जैसे क्षेत्रों में सुधार के गहन उपाय कर सकते थे। हालांकि हमारे फैसलों का असर दिखना शुरू हो चुका है और भारत निवेश के आकर्षक स्थल के रूप में एक बार फिर से उभरने लगा है। मुझे यकीन है कि आप अगले कुछ महीनों में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखेंगे।'
मनमोहन ने कहा,' भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है, लेकिन यह उन लोगों को सदैव दिखाई नहीं देता, जो इसे बड़े परिदृश्य पर नहीं देखना चाहते। पिछले 10 वर्षों में हमारे संचार नेटवर्क में व्यापक विस्तार हुआ है और निकट भविष्य में ग्रामीण भारत का काफी हिस्सा ब्रॉडबैंड से जुड़ जाएगा। उच्च शिक्षा की करीब एक हजार संस्थाएं आज त्वरित गति वाले राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का हिस्सा है। शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या 17 से 44 हो गई है तथा आईआईटी और आईआईएम की संख्या भी दोगुनी हो गई है। प्राथमिक स्तर पर भारत में तकरीबन हर बच्चा आज स्कूल जा रहा है। राष्ट्रीय कौशल विकास प्राधिकरण निजी क्षेत्र सहित अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि अगले पांच वर्षों में 5 करोड़ लोगों का कार्यबल तैयार किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह और स्वच्छ सरकार देना हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है। सूचना का अधिकार, लोकपाल कानून, सरकारी खरीद विधेयक, प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन की प्रणालियों में बदलाव तथा हमारी कानून प्रवर्तन एवं लेखा परीक्षा एजेंसियों को सशक्त बनाना, इस दिशा में उठाए गए हमारे कुछ कदमों में शुमार है। यह कार्य जटिल रहा, क्योंकि हमें अपनी राज्य व्यवस्था की संघीय प्रकृति का सम्मान करते हुए मजबूत पद्धतियों और प्रणालियों को पूरी तरह बदलना पडा। प्रशासन को सशक्त बनाना एक सतत प्रक्रिया है और हम यह कभी नहीं कह सकते कि हमने बहुत कुछ कर लिया है, लेकिन मुझे यकीन है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और उसी समय उसे तेजी से बदलते विश्व के साथ तालमेल भी बैठाना है। हमारे जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश के लिए यह एक विकट चुनौती है, लेकिन हम इस चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। खासतौर पर, हमें भारत के युवाओं की ऊर्जा और आशावाद से, हमारी जनता को सशक्त बनाने वाली स्वतंत्रताओं से, हमारे चिंतन को समृद्ध बनाने वाली चर्चाओं से, एकता की भावना से, जो उसी समय मजबूत होती है, जब उसकी ज्यादा परख की जाती है तथा राजनीतिक सर्वसम्मति से बल मिलता है जो हमारी आर्थिक नीति को आधार प्रदान करती है। अंत में मनमोहन ने कहा, 'मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि हम उस अंतर्राष्ट्रीय भूमिका और उत्तरदायित्व का वहन करने के लिए तैयार हैं, जिनकी विश्व उभरते भारत से अपेक्षा करता है। मुझे इस बात का यकीन है कि भारत और प्रवासी भारतीय समुदाय के रूप में उसके 22 मिलियन दूतों के बीच सहयोग आने वाले वर्षों में और गहरा तथा समृद्ध होता जाएगा।'
इससे पहले प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री वायलार रवि ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों की सहभागिता की भावना को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने भारतवंशियों से जुड़े अनेक मुद्दों को सुलझाने का हमेशा प्रयास किया है और विकास में सक्रिय सहभागिता के लिए नयी योजनाएं चलाई हैं। रवि ने कहा कि भारतीय प्रवासी नागरिक योजना, एनआरआई के लिए मताधिकार और भारतवंशी युवाओं के लिए छात्रवृत्ति योजना समेत अनेक पहल सरकार की तरफ से की गयी हैं। ई-आव्रजन परियोजना जैसी अनेक योजनाएं भी प्रस्तावित हैं।