शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस के सभी पदों से दिया इस्तीफा, भाजपा में जाने से किया इंकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
गांधीनगर : गुजरात में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुई क्रॉस वोटिंग से शर्मसार कांग्रेस को एक और झटका देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने आज पार्टी से नाता तोड़ने और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तथा विधायक पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी।
पिछले कुछ समय से बगावती तेवर अपनाने वाले 77 वर्षीय वाघेला ने अपने जन्मदिन के मौके यहां टाउनहॉल में आयोजित सम समवेदना सम्मेलन में कहा, मैं पार्टी के भीतर साजिश का शिकार बना हूं, चाहे यह भाजपा हो या कांग्रेस। बर्खास्त करने से आपके अहं को संतुष्टि मिल सकती है, लेकिन यह इससे ज्यादा कुछ नहीं है। एक जन-नेता की तरह व्यवहार करें, किसी राजनेता की तरह नहीं।
उन्होंने कहा, मुझे साजिश के तहत निकाला गया। मैंने राहुल गांधी से इस बारे में बात की थी। मैं सोनिया गांधी से भी मिला था और कहा था कि आपका भरोसा नहीं तोड़ूंगा। मैंने उन्हें हर चीज के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि मैं कुछ समय बाद पार्टी में नहीं रहूंगा, लेकिन चिंता मत कीजिए मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं।
वाघेला ने अपने समर्थकों से कहा, मैं आज विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं। मैं स्वतंत्र पक्षी हूं, मैं कांग्रेस को खुद से मुक्त कर रहा हूं और खुद को कांग्रेस से मुक्त करता हूं। मैं आज ही नेता प्रतिपक्ष पद से अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेज दूंगा तथा 8 अगस्त को राज्यसभा चुनाव के बाद 15 अगस्त को विधायक पद भी छोड दूंगा।’ वाघेला ने कहा, बर्खास्त होना मेरी किस्मत थी। अभी मैं सेवानिवृत्त नहीं हो रहा हूं। अन्याय के खिलाफ लड़ना मेरा स्वभाव है, भले ही मैं इस क्रम में सब कुछ गंवा बैठूं।
वाघेला ने अपने लंबे भाषण के दौरान यह भी दावा किया कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि की तर्ज पर कांग्रेस ने उन्हें 24 घंटे पहले ही बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश की थी। उन्होंने हालांकि कहा कि वह भाजपा अथवा अन्य राजनीतिक दल में नहीं जायेंगे, ना कोई नई पार्टी बनायेंगे बल्कि अब जनता के बीच रहेंगे जो उनकी मालिक है।
कांग्रेस में उनके समर्थक भी कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। वाघेला ने अपने भाषण के दौरान इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी तथा उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की बहुत प्रशंसा की। मजे की बात यह है कि उन्होंने पार्टी में उनके मुख्य हरीफ समझे जा रहे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी की भी पूर्व में मदद करने के लिए सराहना की। हालांकि उन्होंने कम समय रहने के बावजूद कांग्रेस में सही तरीके से चुनावी तैयारी नहीं होने की बात फिर से उठायी और यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस के भीतर के ही कुछ नेताओं ने चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए सुपारी ले रखी है।
कांग्रेस ने उनके सम्मेलन के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा कि वाघेला को पार्टी से निकाला नहीं गया है अथवा कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गयी है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष दोषी ने यह जानकारी दी। गुजरात कांग्रेस ने गुरुवार को वाघेला को अपने जन्मदिन के बहाने समर्थकों व विधायकों के साथ किसी तरह की ‘राजनीति नहीं करने’ की चेतावनी दी थी। उनसे यह भी कहा गया कि पार्टी उनकी सार्वजनिक बयानबाजी को आगे बर्दाश्त नहीं करेगी। वाघेला ने 1990 के दशक के अंत में भाजपा से अलग होकर एक नई पार्टी बनाई थी और बाद में इसका कांग्रेस के साथ विलय कर लिया। वह दिसंबर में होने वाले गुजरात विधानसभा के चुनाव की पूरी जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान से मांग रहे थे।