इसे विकास यात्रा कहें या फैमिली पिकनिक का दें नाम!
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: अब पिछले डेढ़ दो महीनों से इतना भारी ड्रामा खेला गया इसके बाद लाजिमी था कि सपरिवार एक क्वालिटी टाईम बिताया जाए। शायद इसलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक पंथ दो काज वाली कहावत को चरितार्थ किया और 24 घण्टे की विकास-यात्रा पर निकल गए। वो भी किंग खान की सवारी को टक्कर देने वाले समाजवादी रथ पर। चर्चाओं और कयासबाजी का लम्बा दौर चला और फिर किसी फिल्म की हैपी एंडिग की तरह गुरुवार को पूरा यादव कुनबा एकजुट दिखा। चाचा शिवपाल ने भतीजे को शुभकामनायें दी, पिता ने पुत्र को परिवार समेत जनता का हाल लेने के लिए रवाना किया और सीएम साहब सीना फुलाए पिता और चाचा के आर्शीवाद का डंका बजाते रहे।
इसे संयोग ही कहेंगे कि हाइटेक, सुविधा सम्पन्न 10 पहिए वाली मॉडिफाइड मर्सिडीज रवानगी के कुछ देर बाद ही तकनीकी रूकावट का कारण बनी और सीएम अखिलेश को कार में सवार होने पड़ा। ये ठीक वैसे ही रहा जैसे पिता-चाचा और चच्चा का साथ सीएम की विकास-यात्रा को ब्रेक लगाने में जुटा रहता है। इस विकास यात्रा की पिकनिक में पत्नी और सांसद डिंपल के अलावा इनके तीन बच्चे (अदिति, टीना और अर्जुन) भी साथ हैं। पति की सोच की कायल डिंपल ने मीडिया से अपनी भूमिका का भी बखान किया। डिम्पल बोलीं- हम साथ मिलकर योजना बनाते हैं। मैं उन्हें अपनी राय देती रहती हूं। यात्रा शुरू होने से पहले डिंपल ने इसे ऐतिहासिक शुरुआत बताते हुए कहा कि वो आगामी चुनाव को लेकर काफी आशावान हैं।
अखिलेश पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल की मौजूदगी से आह्लादित दिखे। राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के यात्रा को हरी झंडी दिखाने के कार्यक्रम में आने से उन्हें अपार हर्ष हुआ और अखिलेश यादव ने खुशी का इजहार करने में देरी भी नहीं की। गाड़ी के गोमतीनगर के पत्रकारपुरम में पहुंचने पर उन्होंने कहा कि नेताजी के साथ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के यात्रा को रवाना करने के कार्यक्रम में आने की मुझे बेहद खुशी है। साथ ही उन लोगों पर तंज भी किया जो कल तक 'बेवजह हवा' उड़ा रहे थे कि शिवपाल सिंह यादव ने कार्यक्रम में आने से मना कर दिया है।
अखिलेश यादव की ये यात्रा पूरी तरह से राजनीतिक और आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी हैसियत बताने की है। ऐसा कहने से उन्होंने गुरेज भी नहीं किया। सीएम बोले उनकी यात्रा का मकसद प्रदेश की जनता तक समाजवादी पार्टी के विकास कार्यों की खबर पहुंचाना है। मजे की बात ये कि अब तक समाजवादी पार्टी ने अखिलेश को पार्टी का सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। पिता के आज्ञाकारी पुत्र ने मीडिया से कहा कि वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव को चुनाव जिताने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं। गठबंधन पर अखिलेश ने कहा- राजनीतिक दल जब गठबंधन करना चाहते हैं तो अपना विस्तार करना चाहती हैं। लेकिन सवाल ये है कि इस स्थिति में कौन खोता है और किसका हिस्सा कम होता है? अखिलेश ने गठबंधन और महागठबंधन बनाने की जिम्मेदारी भी पार्टी सुप्रीमो पर ही डाली। उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।
इससे पहले रथ यात्रा के कार्यक्रम को दौरान लोगों को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में कई बार रथ चले हैं। मुझे खुशी है कि उत्तर प्रदेश में मुझे तीसरी बार रथ चलाने का मौका मिल रहा है। अखिलेश ने कहा कि रथ लेकर हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जाने का है। ताकि दोबारा प्रदेश में सपा की सरकार बन सके। उन्होंने कहा कि हमने घोषणा पत्र में किए सभी वादे पूरे किए। एक भी नहीं छूटा। अखिलेश यादव ने सपा के स्थापना दिवस के अवसर पर 5 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम को भी सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं से अपील की।
दिख रहा है कि ग्रेट सपा ड्रामे का दी एण्ड होने वाला है और हो सकता है कि विकास यात्रा पर निकली पारिवारिक पिकनिक से बिगड़ा हुआ काम बन जाए। तभी तो कुनबा फिर एक मंच पर हंसता, खिलखिलाता और एक दूसरे को पुचकारता नजर आ रहा है। जनता सब देख रही है और समझ भी रही है।