शिया वक्फ बोर्ड पर योगी सरकार ने की बड़ी कार्रवाई, 6 सदस्य हटाए गए
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बोर्ड के छह सदस्यों को पद से हटा दिया है. हटाये गए सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिजवी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, मुज़फ्फरनगर की अफशा ज़ैदी, बरेली के सय्यद अज़ीम हुसैन, शासन में विशेष सचिव नजमुल हसन रिज़वी और आलिमा ज़ैदी शामिल हैं। इनको पूर्व की सपा सरकार ने मई 2015 में नामित किया था।
इसके अलावा वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार को लेकर आज़म खान और उनकी पत्नी के सीबीआई जांच की जद में आने के पूरे आसार दिख रहे हैं। जौहर यूनिवर्सिटी में वक्फ की जमीन रजिस्ट्री कराने और प्रभाव का इस्तेमाल कर शत्रु संपत्ति को जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल करने के मामले में सीबीआई आजम खान की भूमिका की जांच कर सकती है।
मालूम हो कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। संबंधित विभाग के मंत्री की सिफारिश के बाद योगी सरकार ने बोर्ड को भंग करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत योगी सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की केंद्र से सिफारिश की है। मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के अनुसार, दोनों बोर्ड के नामित सदस्य हटा दिए गए हैं।
दरअसल सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य एजाज रिजवी ने अप्रैल में शिया वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार पर 36 पेज और सुन्नी बोर्ड के भ्रष्टाचार पर 41 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में यह कहा गया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड की एक लाख 50 हजार संपत्तियां थीं जो घटकर एक लाख 30 हजार हो गईं। मगर निरीक्षण में सिर्फ 32 हजार पायी गईं, बाकी सब पर अवैध रूप से कब्जा हो गया।
सेंट्रल वक्फ काउंसल (सीडब्ल्यूसी) की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन मंत्री आजम खान द्वारा भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और पद का दुरुपयोग किए जाने का इशारा किया था। सीड्ब्ल्यूसी को यूपी से कई शिकायतें मिली थीं, इसके बाद इस कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी की अध्यक्षता यूपी और झारखंड वक्फ बोर्ड के प्रभारी सैयद एजाज अब्बास नकवी कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आजम ने मौलाना जौहर अली एजुकेशन ट्रस्ट का गठन किया था। वक्फ बोर्ड का फंड ट्रस्ट को आवंटित कर दिया। इधर, आजम खान का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की और उनपर लगे आरोप निराधार हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 12 वर्ष से संपत्तियों का सर्वे नहीं कराया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने चार साल में 90 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है जबकि उन्हें कोई मासिक वेतन भी नहीं मिलता है।
ऐसे ही शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी पर मुंबई का इमामबाड़ा बेचने से लेकर वक्फ संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने का आरोप था। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि शिया वक्फ बोर्ड की प्रदेश में 8 हजार संपत्तियां थी जो घटकर 3000 हो गईं. 5000 संपत्तियों पर अवैध कब्जा करा दिया गया और मोटी उगाही की गई।
सेंट्रल वक्फ कौंसिल के सदस्य ने सुझाव दिया था कि वक्फ संपत्तियों पर प्रदेश सरकार श्वेत पत्र जारी करे और आयोग गठित कर पूरे मामले की जांच कराए। नियमों के विपरीत मुतवल्लियों की नियुक्ति रद्द की जाए और पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराई जाए। इस संस्तुति पर केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था।