भीड़ के हाथों दम तोड़ता भारतीय लोकतंत्र
मुल्क में चारों तरफ एक हिंसक हत्यारी भीड़ का शोर बह रहा है। उस शोर का सैलाब लगातार आपकी कल्पनाशीलता को खत्म कर रहा है। आपके भीतर की रचनात्मकता को पीट-पीट कर मार रहा है। वो हत्यारी भीड़ संवैधानिक व्यवस्था के समानांतर खड़ी होकर लोकतंत्र को कुचल रही है। लेकिन ये सनद रहे कि भीड़ ना तो किसी मजहब की होती है और न किसी जाति की। फिर भी ये हत्यारी भीड़ हमेशा किसी धर्म या मज़हब का होने का दावा जरूर करती है। ये भीड़ हमेशा संस्कृति, मजहब, राष्ट्र आदि बचाने के नाम पर हमला करती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेमचंद के बहाने किसे दिखाया आईना!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। अपने विरोधियों पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं चूक रहें हैं। अब उन्होंने हिन्दी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद को याद किया है। उनके बहाने भाजपा पर प्रहार किया है। एक ट्वीट के जरिए उन्होंने सांप्रदायिकता का मुद्दा उठाया है।