दागी नेताओं की अब खैर नहीं, स्पेशल कोर्ट बनाने को सरकार तैयार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : देशभर के दागी नेताओं पर जल्द फैसला लेने के लिए मोदी सरकार देशभर में 12 नई विशेष अदालतें बनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में सौंपे हलफनामे में केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि ऐसी अदालतें साल भर में गठित कर ली जाएंगी। सरकार ने इसका प्रारूप बना लिया है। इन 12 अदालतों के गठन पर सरकार 7.8 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
मालूम हो कि देशभर में सैकड़ों राजनेता हैं जिनपर हजारों मुकदमें लंबित हैं। न्याय में होने वाली देरी की वजह से ऐसे नेता कई बार चुनकर संसद या विधान सभाओं में पहुंच जाते हैं, जबकि नियमानुसार एक बार दोषी और सजायाफ्ता हो जाने पर किसी भी सांसद या विधायक की सदस्यता जनप्रतिनिधि कानून के तहत स्वत: ही समाप्त हो जाती है, लेकिन कानूनी उलझनों का फायदा उठाकर अपराधी किस्म के नेता अपनी सदस्यता बचाए रखने में कामयाब हो जाते हैं।
पिछले महीने नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की वकालत की थी। चुनाव आयोग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पेशल कोर्ट बनाने की संभावनाओं पर केंद्रीय कानून मंत्रालय से छह हफ्तों में हलफनामा देने को कहा था। इस संदर्भ में पहले केंद्र सरकार ने कहा कि हम स्पेशल कोर्ट के लिए तैयार हैं लेकिन यह राज्यों का मामला है। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को झिड़कते हुए कहा था कि आप केंद्रीय कोष से स्पेशल कोर्ट बनाने की व्यवस्था करें। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर कोर्ट की संख्या और उसके लिए फंड के बारे में जानकारी मांगी थी।