'किसान विरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार'
सत्ता विमर्श ब्यूरो
लखनऊ : केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि किसान विरोधी नीतियों को बढावा देने के कारण ही देश में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं और इसकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, योगी सरकार को ‘चेतावनी सरकार’ कहा जाना ज्यादा मुनासिब होगा। क्यों कि महज 60 दिनों के भीतर इस सरकार ने बगैर कोई काम किये करीब 600 चेतावनियां जारी की हैं। कानून व्यवस्था को संभालने में यह सरकार नकारा सिद्ध हुई है जबकि किसानों की कर्ज माफी की घोषणा छलावा साबित हुई है। उन्होंने प्रदेश सरकार से किसानों की कर्ज माफी पर श्वेत पत्र लाने की मांग की।
देश में हर रोज 35 किसान कर रहे हैं खुदकुशी
केंद्र की भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने पर सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र के उपेक्षित रवैए से देश में 35 किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं और यह सरकार आजादी के 70 साल बाद किसानों की सबसे ज्यादा उपेक्षा करने वाली सरकार बन गयी है। सरकार न किसान से समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदती है और न ही बाजार में किसानों को सही दाम मिलते हैं।
किसानों के लिये योजनाएं : सच्चाई बनाम ढिंढोरा #लीपापोतीसरकार
Schemes For Farmers: Truth Vs Hype #3YearsFarmersInTears pic.twitter.com/ZfwwgT4FEt— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) May 20, 2017
भाजपा ने केंद्र में चुनाव जीतने के लिए अपने घोषणा पत्र में कहा था कि किसानों को लागत का 50 प्रतिशत ज्यादा समर्थन मूल्य दिया जाएगा, मगर सत्ता हासिल करने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि लागत का 50 प्रतिशत से ज्यादा समर्थन मूल्य किसानों को नहीं दिया जा सकता है।
लीपापोती और वादे करने वाली योगी सरकार
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने यहां कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर उसे घेरा, साथ ही प्रदेश की दो महीने पुरानी भाजपा की योगी सरकार को ‘60 दिन में 600 वादे' और लीपापोती वाली सरकार भी बता डाला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 15 लाख छोटे एवं सीमांत किसान परिवारों में से केवल 86 लाख 88 हजार किसान बैकिंग व्यवस्था के दायरे में है, जबकि दो करोड़ 15 लाख किसानों में से एक करोड़ 28 लाख किसान साहूकार के कर्जदार हैं।
सरकारी साँठगाँठ,किसान की मुसीबत,बिचौलियों के हाथ में लड्डू
Govt Dithers,Farmer Suffers,Mafia Prospers #लीपापोतीसरकार #3YearsFarmersInTears pic.twitter.com/8v4dLVscGj— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) May 20, 2017
उनको कर्जा माफी का एक फूटी कौड़ी का फायदा नहीं मिला है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चार अप्रैल 2017 को यूपी की भाजपा सरकार ने 31 मार्च 2016 तक बकाया तीस हजार करोड़ रुपए के फसली कर्जे की माफी का दावा कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया। यूपी सरकार ने जानबूझ कर यह नहीं बताया कि 31 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच कितने किसानों द्वारा फसल ऋण वापस लौटा दिया गया था तथा लौटाई गयी राशि क्या थी।
यूपी में ऋण माफी के छलावे की सच्चाई क्या है?
उन्होंने कहा कि ऋण माफी के इस छलावे की सच्चाई यह है कि किसानों को फसल ऋण साल में दो बार रबी और खरीफ के लिए दिया जाता है। किसान अगली फसल के लिए ऋण ले ही नहीं सकता, अगर पिछली फसल का कर्जा वापस न दिया हो। उन्होंने मांग की कि ऐसे में कर्जा माफी पर उत्तर प्रदेश सरकार ‘श्वेत पत्र' लेकर आए ताकि सच्चाई सामने आ सके। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार बताए कि किसान का ‘मियादी कर्ज' माफ क्यों नहीं किया गया।
उत्तर प्रदेश में 'कृषि ऋण माफ़ी' का विश्वासघात-ज़रूर पढ़ें
Fallacy of UP 'Farm Loan Waiver' -Do Read #3YearsFarmersInTears #लीपापोतीसरकार pic.twitter.com/nh67ztdw31— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) May 20, 2017
सुरजेवाला ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुये कहा कि किसान विरोधी मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति दोस्तों का तो एक लाख 54 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन किसानों का कर्ज माफ नहीं किया, जिसकी वजह से आज देश में 35 किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं तथा 2016 में करीब 14 हजार किसानों ने देश में आत्महत्या की। वर्ष 2015 में 12 हजार 602 किसानों ने आत्महत्या की थी।
फसल बीमा योजना से फायदा बीमा कंपनियों को
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरजेवाला ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की ‘फसल बीमा योजना' से निजी बीमा कंपनियों को भारी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने दस्तावेज के आधार पर बताया कि खरीफ 2016 की फसल के लिए निजी बीमा कंपनियों को 17 हजार 184 करोड़ रुपए प्रीमियम दिया गया जबकि किसानों को मुआवजा केवल 6808 करोड़ रुपए ही दिया गया। इस तरह बीमा कंपनियों को 10,376 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
फ़सल बीमा योजना से प्राईवेट कम्पनियों को भारी मुनाफ़ा #लीपापोतीसरकार
Companies Profiteer from 'Fasal Bima Yojana'#3YearsFarmersInTears pic.twitter.com/Sm2b3cg16p— Randeep S Surjewala (@rssurjewala) May 20, 2017
सूखे के बावजूद तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार ने एक धेला भी नहीं दिया उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की किस तरह अनदेखी कर रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तमिलनाडु सरकार ने सूखे तथा अकाल के लिए 2016-17 के लिए 39 हजार 565 करोड़ रुपए की मांग की लेकिन तमिलनाडु के किसानों को एक रुपया भी नहीं दिया गया जबकि उन लोगों ने दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किया। इसी तरह आंध्र प्रदेश सरकार ने 2 हजार 281 करोड़ रुपए की मांग की थी उन्हें भी एक पैसा नहीं दिया गया।