दोषियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने EC को लगाई फटकार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने संबंधी याचिका पर चुनाव आयोग के ढुलमुल रवैये को लेकर कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग का रवैया स्पष्ट नहीं होने पर कहा, 'आप (चुनाव आयोग) अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का आप समर्थन करते हैं या नहीं?'
चुनाव आयोग के वकील नवीन सिन्हा ने जब अदालत से कहा कि आयोग राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ याचिकाकर्ता की याचिका का समर्थन करता है तो न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की एक पीठ ने कहा, यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है, अगर आप स्वतंत्र नहीं रहना चाहते हैं और विधायिका द्वारा विवश हैं, तो ऐसा कहिए। पीठ ने कहा, जब एक नागरिक दोषी सांसदों या विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध की मांग को लेकर निर्वाचन आयोग के पास पहुंचता तो क्या चुप रहना विकल्प है? आप हां या नहीं में जवाब दे सकते हैं। आप चुप्पी नहीं साध सकते हैं?
अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह याचिका का समर्थन करता है? लेकिन अभी सुनवाई के दौरान आयोग कह रहा है कि वह आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध के पक्ष में नहीं है। आखिर रुख में इस तरह के विरोधाभासी बदलाव के मायने क्या हैं? शीर्ष अदालत ने कहा कि देश के एक नागरिक ने याचिका दाखिल की है और कहा है कि ऐसे लोगों पर आजीवन पाबंदी लगाई जानी चाहिए, आयोग इसका समर्थन करता है या विरोध, जो भी है उसका जवाब हां या न में देना होगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि यदि विधायिका उसे (आयोग को) इस मुद्दे पर कुछ कहने से रोक रही है तो वह अदालत को बताए। दरअसल चुनाव आयोग ने हलफनामे में याचिका का समर्थन किया था, लेकिन सुनवाई के दौरान उसका कहना था कि इस मुद्दे पर विधायिका ही फैसला कर सकती है। मामले पर अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें उन्होंने दोषी ठहराए गए सांसदों, विधायकों, नौकरशाहों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने तथा आपराधिक मामलों के आरोपी सांसदों, विधायकों के खिलाफ सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए, चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित की जाए और चुनाव आयोग, विधि आयोग तथा न्यायमूर्ति वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को तत्काल लागू किया जाए।