एक पखवाड़े से नहीं चल पा रही संसद, एक दिन के लिए फिर टली कार्यवाही
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली: पूरे एक पखवाड़े से दोनों सदन की कार्यवाही चल नहीं पा रही है। लगातार हो रहा हंगामा इसमें सबसे बड़ी अड़चन है। नोटबंदी को लेकर विपक्ष जहां वोटिंग और प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर तुला है वहीं सत्ता पक्ष इस मांग के विरोध पर अड़ा है। अब कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इस बीच समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिस पर सरकार की तरफ से ऐतराज किया गया और इसे कार्यवाही से एक्सपंज या हटा दिया गया।
नोटबंदी के मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा की मांग को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही आधे घंटे के लिए 12 बजे तक फिर शुरू होने के बाद दोपहर दो बजे तक और आखिर में दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
दूसरी ओर राज्यसभा में भी नोटबंदी के कारण लोगों को वेतन और पेंशन मिलने में हो रही परेशानी के मु्द्दे पर विपक्ष ने हंगामा किया। कार्यवाही शुरू होने के 25 मिनट बाद ही पहली बार 12 बजे तक के लिए फिर दोपहर दो बजे के बाद राज्य सभा में हंगामा जारी रहा और सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सरकार को कहा कि क्या मोदी सरकार दिवालिया हो गयी है जो किसी को पैसे नहीं दे पा रही है। सपा सांसद नरेश अग्रवाल के बयान पर भी कोहराम मचा। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि भाजपा भांडगिरी कर रही है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने जवाब में कहा कि इसको एक्सपंज किया जाए।
उपसभापति पीजे कुरियन ने नरेश अग्रवाल को हिदायत दिया और कहा कि आप ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते, बाद में भांडगीरी शब्द को संसद की कारवाई से एक्सपंज करा दिया गया।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकारीकर्मियों के वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन में आर रही दिक्कतों का जिक्र किया। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश में वित्तीय आपातकाल की स्थिति पैदा हो गई है ? आजाद ने कहा कि अब तक स्थिति यह है कि संसद के भीतर लगे एटीएम भी काम नहीं कर रहे हैं, तो देश के अन्य हिस्सों की स्थिति क्या होगी। आजाद के अनुसार संसद में लगे एटीएम या तो खराब पड़े हैं या उनमें पैंसा नहीं है।
बहुजन समाज पार्टी के सतीश मिश्रा, माकपा के सीताराम येचुरी ने भी सरकारी एवं निजी क्षेत्र के कार्मिकों को वेतन नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। इस बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सपा के सदस्यों ने नोटबंदी के खिलाफ आसन के समीप जाकर नारेबाजी शुरू कर दी।
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने विपक्ष से कहा कि वे चर्चा शुरू कराएं और अपनी बात उसमें कहें। लेकिन विपक्ष ने हंगामा जारी रखा। उपसभापति पीजे कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि नारेबाजी समस्या का हल नहीं है। वे चर्चा शुरू करें और सरकार से जवाब मांगें।
हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी जिससे चलते पूरे दिन सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका।
वहीं लोकसभा में भी मंजर ऐसा ही रहा। यहां विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वो नियम के तहत चर्चा चाहतें हैं और निकट भविष्य में 8 से 10 लाख लोगों के रोजगार से हाथ धो दिए जाने को लेकर फिक्रमंद हैं। इस पर स्पीकर ने उनसे कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग नियमों को लेकर चर्चा कराने पर बहस ना करें, क्योंकि फिक्र सभी को है।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर बिना हो-हल्ले के चर्चा कराने की दरख्वास्त की। उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा को तैयार है। इस पर खड़गे ने कड़ा ऐतराज जाताते हुए कहा कि वो वो इस तरह का संदेश ना दें जिससे लगे कि विपक्ष चर्चा नहीं कराना चाहता है। क्या हम गलत है अगर हम लोगों और उनसे जुड़ी परिस्थितियों पर बात करना चाहते हैं?