सरसंघचालक मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनना मंजूर नहीं
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को उन खबरों को खारिज किया, जिसमें कहा गया कि देश के अगले राष्ट्रपति पद की दौड़ में उनका नाम भी शामिल है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर उन्हें इस पद के लिए नामित भी किया गया तो भी वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
यहां संवाददाताओं से बातचीत में मराठी भाषा में भागवत ने कहा, मुझे इस पद में दिलचस्पी नहीं है। इस तरह की खबर केवल मनोरंजन करती हैं। ऐसा कभी नहीं होने जा रहा। मीडिया में भागवत की दावेदारी की बात तब चल निकली थी जब सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए मोहन भागवत राष्ट्रपति बनाए जाने के लिए बेहतर विकल्प होंगे।
राउत ने कहा था, राष्ट्रपति का पद देश का सबसे सर्वोच्च पद है। इस पद पर किसी स्वच्छ व्यक्ति को चुना जाना चाहिए। ऐसा सुनने में आ रहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए मोहन भागवत चर्चा में है। इस बात की ओर इशारा करते हुए कि बतौर पूर्व स्वयंसेवक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ की संस्कृति से परिचित हैं, भागवत ने कहा, यहां पहुंचने से पहले ही हम सारे दरवाजे बंद कर देते हैं। जब हम संघ में काम करते हैं, तो हम वहां (ऐसे उच्च पदों पर) नहीं जाते। वहां (सरकार में) कई स्वयंसेवक हैं और वे इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं।
भागवत ने अपने समर्थकों को खबर को लेकर चिंता न करने की बात कहते हुए कहा, यहां तक कि अगर असंभव हालात में भी मुझे नामित किया जाता है, तो भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा।
उन्होंने कहा, यह मनोरंजन करने वाली खबर है और इसे उसी नजरिये से देखना चाहिए और वहीं इसे छोड़ देना चाहिए।
कांग्रेस ने मंगलवार को शिवसेना के मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए अपना उम्मीदवार उतारने की बात कही। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव गोगोई ने कहा, ये बिल्कुल साफ है कि हम आरएसएस की विचारधारा का समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति पद की जब बात आएगी, हम पार्टी के अंदर चर्चा करेंगे और अपने उम्मीदवार की घोषणा करेंगे। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में समाप्त हो रहा है।