उत्तराखंड : उपेक्षित होती भाषा, बोलियों का जिम्मेदार कौन?
देश में शायद उत्तराखंड ही एक मात्र ऐसा राज्य होगा, जहां अपनी बोली भाषाएं उपेक्षा का शिकार हो रही हैं। सवाल उठता है कि उत्तराखंड में ऐसे हालात क्यों बने हैं? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसके लिए सरकारें जिम्मेदार हैं या फिर राज्य की जनता जिम्मेदार है?
आपातकाल से 'सीख' लेने का वक्त
क्या आज हम कल्पना कर सकते हैं कि ट्रेन के आने के समय से इस देश में कोई अपनी घड़ी का समय मिलाता हो। जवाब होगा, नहीं। लेकिन, 26 जून 1975 के बाद कुछ वक्त तक लोगों ने ऐसा किया था। ये आपातकाल में कुछ महीनों के वक्त के सकारात्मक 'इफेक्ट' कहे जा सकते हैं।
सियासत : आपदा में राहत का अचूक हथियार
सूचनाधिकार के जरिए आपदा राहत घोटाला क्या सामने आया, उत्तराखंड में सत्ता पक्ष-विपश्र में सियासत तेज हो गई है। लेकिन सही अर्थों में देखा जाए तो राजनीति ही किसी भी राजनीतिक, सामाजिक या फिर दैवीय आपदा में जनता को राहत देने का सबसे बेहतर औजार साबित होती है।
मोदी सरकार और 10 प्रतिशत की तरक्की का सपना
मोदी सरकार के एक साल के कामकाज की समीक्षा बीच सवाल यह है कि क्या 10 प्रतिशत की तरक्की का जो सपना भारतीय जनमानस ने देखा था उसकी बुनियाद पिछले एक साल में बनी है या नहीं। क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी 10 प्रतिशत की तरक्की का सपना दिखाया है।
हिन्दी-चीनी भाई-भाई का दूसरा अध्याय!
क्या हिन्दी-चीनी भाई-भाई का दूसरा अध्याय मुमकिन है? इस संदर्भ में जिनपिंग के उस बयान पर भारत को सोचना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत के सेवा उद्योग और चीन के उत्पादन उद्योग हाथ मिला लें तो दोनों देश दुनिया पर राज कर सकते हैं। मोदी इसी महीने चीन जाने वाले हैं।
PM मोदी ने दुनिया को दिखाया नेतृत्व का फर्क
पीएम मोदी ने जिस तरह से भूकंप पीड़ित नेपाल की मदद करने में तेजी दिखाई वो अद्भुत है। मोदी ने देश और दुनिया को यह बताने की कोशिश की है कि विनाशकारी आपदा में सरकार कैसे काम करती है। उसी का नतीजा है कि तीन मंत्रालयों के सचिव एक साथ मीडिया से बात कर रहे हैं।
किसान गजेंद्र की खुदकुशी का जिम्मेदार कौन है?
ये आत्महत्या लाइव टीवी की टीआरपी और उसके जरिए अरविंद केजरीवाल की लोगों के दिलों-दिमाग पर छाने की घृणित कोशिश का परिणाम है। लाइव टीवी नहीं होता और लाइव टीवी के ही बूते मुख्यमंत्री बने केजरीवाल और उनकी पार्टी नहीं होती तो शायद गजेंद्र भी खुदकुशी की योजना नहीं बनाता।
भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी के आसार
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ने न केवल ब्रिक्स देशों को पीछे छोड़ दिया है बल्कि आने वाले समय में इसकी रफ्तार में और तेजी आने की उम्मीद है। संसद के बजट सत्र में मोदी सरकार ने खान एवं खनन विधेयक को पारित कराकर आर्थिक सुधारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के संकेत दिए हैँ।
...ताकि 'आप' में भरोसा बना रहे
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए कहा था कि लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है। लेकिन बदलते परिवेश में लोकतंत्र को फिर से परिभाषित करते हुए नेता का, नेता के लिए और नेता द्वारा शासन प्रणाली कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। नेताओं ने अपनी हनक के लिए लोकतंत्र को ‘नेता-तंत्र’ में बदल दिया है।
भ्रष्टाचारमुक्त भारत के लिए नीतियां जरूरी
सिर्फ 33 कोयला खदानों की नीलामी और इससे दो लाख करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आने से साफ है कि नीतियों के आधार पर सरकार अगर चलना तय करे तो भ्रष्टाचारमुक्त भारत की हम सोच सकते हैं। सरकार ने ये जिम्मेदारी उठाई है और अब देश उसी रास्ते पर चल पड़ा है।