चार साल बाद मोदी के युवा भारत में कहां खड़ा है युवा?
प्रेरित कुमार
साल 2014 की मई में जब सूरजदेव के प्रचंड कोप का शिकार पूरा भारत हो रहा था, तपती दिल्ली की सियासत तल्ख और तेज हो चुकी थी। भारत के पुरातन काल की राजनीति से देश के युवाओं का मन ऊब चुका था। युवा अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ एक ऐसे शख्स को सत्तासीन करने जा रहा था जिसने राजनीति की अपार संभावनाओं को जनता के समक्ष पेश किया था। प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र दामोदरदास मोदी पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर एक ऐसी राजनीति को प्रतिष्ठापित करने का संकल्प ले चुके थे कि युवा भारत की राजनीतिक धमनियों में ऊर्जा का अद्भुत रक्त संचार होने लगा था। बीते 10 बरस के शासनकाल में घोटालों की लंबी फ़ेहरिस्त ने युवाओं के राजनीतिक विचार को निराश कर दिया था। अंतराष्ट्रीय पटल पर भारत की निराशाजनक छवि के कारण युवाओं के भीतर हीन भावना जाग चुका था। रोजगार की घोर कमी और शिक्षा की गुणवत्ता विहीन स्तर ने युवाओं के भीतर की तमाम ऊर्जाओं को नष्ट कर चुका था। युवाओं की उम्मीदों के उन्माद ने प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, जिसके जरिये युवा भारत के युवाओं की सारी परेशानियों का अंत हो सके।
चुनावी सरगर्मियों में युवाओं के ज़ुबान से हर-हर मोदी, घर-घर मोदी के अल्फ़ाज़ निकल रहे थे। प्रधानमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णय लिया कि उनके मंत्रिमंडल में 70 बरस से कम उम्र के लोग ही मंत्री बनेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय से युवाओं में संदेश गया कि युवा भारत के कल्पना की यह पहली हकीकत है। प्रधानमंत्री एक के बाद एक ऐसे फैसले लेते गए जिससे युवाओं में प्रधानमंत्री के युवा होने का एहसास गहराता गया। 28 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी पहली बार अमेरिका के दौरे पर गए जहां न्यूयॉर्क स्थित मेडिसन स्क्वायर में उन्हें भारतीय नागरिकों और एनआरआई को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत की सबसे बड़ी ताकत युवा शक्ति है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। भारत के नागरिकों को हताश होने को ज़रूरत नहीं है। भारत बहुत तेजी से तरक्की के पथ पर आगे बढ़ेगा और उसकी एकमात्र वजह होगी भारत के युवाओं की योग्यता।
प्रधानमंत्री ने युवाओं की बातें करके भारत के काल्पनिक गौरव का अभिमान राष्ट्रीय से लेकर अंतरष्ट्रीय स्तर तक के लोगों में जगाया और बदले में खूब तालियां भी बटोरीं। देश के विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने योजना आयोग का नाम बदल कर नीति आयोग किया जो 1 जनवरी 2015 से भारत में सक्रिय हो गया। उसके बाद युवाओं को रोजगार देने के लिए युवाओं के कौशल को विकसित करने के नाम पर 'स्किल इंडिया' नाम से 15 जुलाई 2015 को एक योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य 2022 तक 40 करोड़ लोगों के कौशल को विकसित कर रोजगार देने का तय किया गया। ऐसे और भी कई भाषणों, संबोधनों और स्कीमों के जरिये युवाओं के हितों और उज्ज्वल भविष्य का जिक्र किया गया। लेकिन बीते चार बरस में युवाओं के गौरवगान और युवा भारत के महिमामंडन के बाद भारत के युवाओं को असल मायनों में हासिल क्या हुआ। क्योंकि बात यदि रोजगार और किसानी की करें तो भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र से शुरू करते हैं जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संकल्प पत्र भी कहा था। भाजपा के इस संकल्प पत्र की मानें तो इसमें हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने बात कही गई थी।
भारत में बेरोजगारी दर बढ़ने के अनुमान पर वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी नवीनतम वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट में वर्ष 2017 तथा 2018 में भारत में बेरोजगारी दर में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया। वर्ष 2017 में देश में बेरोज़गारों की संख्या 17.8 मिलियन की बजाय 18.3 मिलियन तक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था। वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के मुताबिक बेरोज़गारों की संख्या 18.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि पहले इसी रिपोर्ट में बेरोज़गारों की संख्या 18 मिलियन रहने का अनुमान लगाया गया था। प्रतिशत के संदर्भ में आईएलओ ने सभी तीन वर्षों 2017, 2018 और 2019 के लिए भारत में बेरोज़गारी दर 3.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया है। एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 2017 से 2019 के दौरान 23 मिलियन नई नौकरियां सृजित होंगी और भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में नए रोज़गार सृजित होंगे लेकिन पूरे क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ेगी।
देश के युवा केवल रोजगार के भरोसे ही नहीं निराश नहीं हो रहे बल्कि देश के और भी आंकड़े हैं जिसने युवाओं के तमाम कल्पनाओं को कल्पना में ही बने रहने दिया। 2017-18 में विकास दर घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई। यह मोदी सरकार के चार सालों में सबसे कम वृद्धि दर है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 का हिसाब देखने पर स्थितियां विकट है। कृषि क्षेत्र में 2017 में वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहा था जो 2018 में गिरकर 3.4 प्रतिशत रह गया है। मैन्युफैक्चरिंग में 9.2 प्रतिशत की दर घटकर 7.2 प्रतिशत पर आ गयी है। खनन में तो व्यापक गिरावट दर्ज की गई है। खनन क्षेत्र में 13.9 प्रतिशत की दर सिर्फ 2.9 प्रतिशत रह गयी है। तो देश के भीतर युवाओं की चिंताओं को देखते हुए देश के जहन में यह सवाल आना लाजिमी है कि बीते चार बरस में युवा भारत के युवाओं को कितनी नौकरियां मिली? युवा भारत के युवाओं का विकास दर क्यों 2014 की उम्मीदों और दावों के विपरीत खड़ा है?
(लेखक युवा पत्रकार हैं और लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं।)